नई दिल्ली। पुलवामा जांच में गिरफ्तार अकेली महिला इंशा जान इस हमले के मास्टरमाइंड फारूक की करीबी थी। उसने पिछले साल आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों की हर लिहाज़ से मदद की थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की चार्जशीट में इस बात का खुलासा हुआ है। एनआईए का दावा है कि 23 साल की इंशा जान मार्च में सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर में मारे गए पाकिस्तानी बम बनाने वाले मुख्य साजिशकर्ता मोहम्मद उमर फारूक की साथी थी। वह उसके साथ फोन और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संपर्क में थी। इस मामले में NIA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 13500 पन्नों की चार्जशीट दायर की है।
एनआईए के अनुसार इंशा जान के पिता तारिक पीर को भी फारूक से उसके रिश्ते के बारे में पता था। तारिक पीर ने कथित तौर पर पुलवामा और उसके आसपास उमर फारूक और उसके दो अन्य सहयोगियों को मूवमेंट की सुविधा दी थी। अधिकारी ने खुलासा किया कि आतंकवादी उसके घर पर एक समय में दो से चार दिन, 2018 और 2019 के बीच कई बार रुके थे। पिता-पुत्री की जोड़ी ने उमर फारूक, समीर डार और आदिल अहमद डार (हमले के तीन प्रमुख साजिशकर्ता) को 15 से अधिक अवसरों पर भोजन, आश्रय और अन्य रसद प्रदान की।
पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी कार को एक सुरक्षा काफिले में घुसाकर 40 से अधिक सैनिकों की जान ले ली थी। एनआईए का दावा है कि आदिल अहमद डार आत्मघाती हमलावर था।
एनआईए की चार्जशीट में बताया गया है कि भारत में 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे उमर फारूक को सुरक्षा बलों के मूवमेंट के बारे में इंशा जान जानकारी देती थी। मसूद अजहर को पुलवामा आतंक के प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है। एनआईए के आरोप पत्र में कहा गया है कि उमर फारूक ने 14 अप्रैल 2018 को चार अन्य आतंकवादियों के साथ भारत में घुसपैठ की। उमर फारूक इंशा जान के घर जाता रहा।