नई दिल्ली, 1 मई 2025: पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद जब पूरे देश की नजरें पाकिस्तान पर संभावित जवाबी कार्रवाई की ओर थीं, तब केंद्र सरकार ने एक राजनीतिक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति (CCPA) ने अचानक घोषणा कर दी कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे।
यह फैसला न केवल विपक्ष के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि खुद बीजेपी के लिए भी नीतिगत बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि 2021 में मोदी सरकार ने जाति जनगणना को पूरी तरह खारिज कर दिया था।

बीजेपी नेताओं ने इसे विपक्ष के सामाजिक न्याय एजेंडे पर करारा हमला बताया। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “यह पाकिस्तान पर नहीं, बल्कि विपक्ष पर सर्जिकल स्ट्राइक है।” कांग्रेस, राजद और सपा जैसी पार्टियाँ जातिगत गणना को चुनावी हथियार बना रही थीं, और 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें कुछ लाभ भी मिला था। अब बीजेपी ने उनका मुद्दा ही छीन लिया।
राहुल गांधी का तंज:
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को समर्थन देते हुए तंज कसा –
“मोदीजी कहते थे कि देश में चार जातियाँ हैं – महिलाएं, युवा, किसान और गरीब। अब क्या हुआ, जो जाति जनगणना की याद आ गई?”
उन्होंने 50% आरक्षण की सीमा हटाने और जाति गणना की निर्धारित समयसीमा तय करने की मांग की।
सरकार की मंशा पर सवाल:
घोषणा का समय सवाल खड़े करता है – पहलगाम हमले और बिहार चुनाव के बीच यह फैसला क्यों लिया गया?
कई भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस कदम से न केवल विपक्ष की राजनीति पर चोट की गई है, बल्कि हिंदू एकता और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने का प्रयास भी है ताकि सांप्रदायिक तनाव से बचा जा सके।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज़ादी के बाद से किसी सरकार ने जाति को गिनने की हिम्मत नहीं की। उन्होंने कांग्रेस पर राजनीतिक फायदे के लिए जाति को मुद्दा बनाने का आरोप लगाया।
बिहार की राजनीति पर गहरा असर:
जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर बद्री नारायण के अनुसार,
“बिहार जातिगत राजनीति की प्रयोगशाला है। NDA यहां सत्ता में है और यह फैसला विपक्ष की बढ़ती चुनौती को कुंद कर सकता है।”
सरकार का यह कदम न केवल विपक्ष के एजेंडे को कमजोर करता है, बल्कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक निर्णायक मोड़ भी बन सकता है।
