छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के ‘सीजफायर’ प्रस्ताव पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दी प्रतिक्रिया, कहा – सरकार बिना शर्त वार्ता को तैयार

रायपुर, अप्रैल 2025 – छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह नक्सलियों के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है। यह बयान तब आया है जब माओवादी संगठन ने एक सीजफायर (युद्धविराम) का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ पूर्व शर्तें रखी हैं।

नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए रखीं शर्तें

एक बयान, जिसे माओवादी संगठन का बताया जा रहा है, बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस बयान में सीजफायर के लिए दो प्रमुख शर्तें रखी गई हैं –

  1. सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों को रोका जाए।
  2. नई सुरक्षा कैंपों की स्थापना पर रोक लगाई जाए।

यह बयान माओवादी केंद्रीय समिति के प्रवक्ता ‘अभय’ के नाम से जारी किया गया और यह 28 मार्च 2025 का बताया जा रहा है। यह ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिन बाद छत्तीसगढ़ के दौरे पर आने वाले हैं।

सरकार का रुख – बिना शर्त वार्ता संभव

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों के इस कथित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है। राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए एक आकर्षक पुनर्वास नीति लागू की है।”

उन्होंने आगे कहा, “नक्सली पहले भी शांति वार्ता की बात कर चुके हैं, लेकिन तब उन्होंने कई शर्तें रखी थीं, जैसे कि सुरक्षा बल छह महीने तक कैंपों में ही रहें और नए कैंप न बनाए जाएं। ऐसी शर्तों का कोई औचित्य नहीं है। अब वे सीजफायर की बात कर रहे हैं। आखिर यह युद्ध किससे है? अगर वे वास्तव में शांति वार्ता चाहते हैं, तो उन्हें बिना किसी शर्त के आगे आना होगा।”

नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का सुझाव

विजय शर्मा ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा, “हम नहीं चाहते कि एक भी गोली चले। सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए एक मजबूत पुनर्वास नीति बनाई है, जिसका लाभ कई पूर्व नक्सली ले रहे हैं। हम चाहते हैं कि नक्सली हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटें और एक खुशहाल जीवन जिएं।”

उन्होंने नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के विकास पर जोर देते हुए कहा, “हम इस समस्या को खत्म करना चाहते हैं ताकि बस्तर के हर गांव में विकास पहुंचे। अगर नक्सली वास्तव में वार्ता के लिए तैयार हैं, तो उन्हें सरकार के पास अपने प्रतिनिधि भेजने चाहिए या एक समिति गठित करनी चाहिए।”

सरकार ने पहले बनाई थी वार्ता समिति, अब नहीं करेगी

जब सरकार की ओर से वार्ता के लिए कोई समिति गठित करने की संभावना के बारे में पूछा गया तो उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया, “पहले भी ऐसी समितियां बनाई गई थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जाएगा। अगर नक्सली वाकई वार्ता चाहते हैं, तो उन्हें खुद आगे आना होगा।”

नक्सलियों पर दबाव बढ़ा, ऑपरेशन ‘कागार’ जारी

माओवादियों के बयान में आरोप लगाया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से ‘ऑपरेशन कागार’ चला रही हैं, जिसके तहत पिछले 15 महीनों में 400 से अधिक नक्सली मारे गए हैं। माओवादी संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि कई आम नागरिकों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।

माओवादी संगठन ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे नक्सल विरोधी अभियानों को रोकें और नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना पर रोक लगाएं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सकारात्मक प्रतिक्रिया देती है, तो वे तुरंत सीजफायर की घोषणा कर देंगे।

माओवादियों की अपील – सरकार पर दबाव बनाने की मांग

माओवादी संगठन ने बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों, आदिवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सरकार पर शांति वार्ता शुरू करने का दबाव डालें और इसके लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएं।

सरकार की तरफ से अब तक स्पष्ट किया गया है कि वह बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन नक्सलियों की शर्तें स्वीकार्य नहीं हैं। अब देखना होगा कि नक्सली अपनी मांगों को लेकर आगे क्या रुख अपनाते हैं और क्या शांति वार्ता की कोई संभावना बनती है या नहीं।