छत्तीसगढ़ के जेल मुख्यालय के निर्देश पर प्रदेश की विभिन्न जेलों में अपराध नियंत्रण और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जेलों में क्विक रिएक्शन टीम (क्यू.आर.टी.) का गठन किया गया है, जो किसी भी अप्रिय घटना पर तुरंत कार्रवाई करेगी। इसके लिए नियमित मॉकड्रिल और रिहर्सल आयोजित किए जा रहे हैं।
कैदियों की व्यवहार प्रोफाइलिंग और निगरानी
कैदियों की अपराधिक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए उनकी व्यवहार प्रोफाइलिंग की जा रही है। उनकी अपराधियों और आपराधिक समूहों से संबद्धता और इतिहास पर नजर रखी जा रही है। यह कदम जेलों में अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।
शैक्षणिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर
केन्द्रीय जेल दुर्ग के जेल अधीक्षक मनीष संभाकर ने बताया कि कैदियों के हिंसक व्यवहार को रोकने और उनकी रचनात्मकता बढ़ाने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें शैक्षणिक प्रशिक्षण, रोजगारोन्मुखी कौशल विकास और जीवन कौशल प्रशिक्षण शामिल हैं।
कैदियों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं, थेरेपी और परामर्श भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे उनके तनाव में कमी आई है। इसके अलावा, उनके परिवारों के साथ स्वस्थ रिश्तों को बढ़ावा देने और सामाजिक समर्थन प्रणालियों को मजबूत करने पर भी काम किया जा रहा है।
मनोरंजन और योग के माध्यम से सकारात्मकता का प्रसार
कैदियों को मनोरंजन गतिविधियों और खेल सुविधाओं के जरिए टीम वर्क और सहयोग की भावना विकसित की जा रही है। योग, ध्यान और काउंसलिंग से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। कैदियों के बीच समरसता बढ़ाने के उद्देश्य से मध्यस्थ नियुक्त किए गए हैं, जो बंदियों से संवाद बनाए रखते हैं।
सुरक्षा के लिए तकनीकी निगरानी
जेलों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी और अन्य तकनीकी साधनों का उपयोग किया जा रहा है। जेल कर्मियों को नियमों का पालन करने और ईमानदारी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
जेल डीजी हिमांशु गुप्ता के निर्देश पर दुर्ग संभाग की सभी जेलों में क्यू.आर.टी. का गठन किया गया है और अन्य निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।