नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद की घर वापसी कराने की कोशिशें तेज हो चुकी हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की करीबी अंबिका सोनी आजाद के संपर्क में हैं। आजाद को पहले भारत जोड़ो यात्रा में शामिल करवाने की रणनीति है। उसके बाद उनकी कांग्रेस में वापसी होगी।
उन्होंने साल 2022 अगस्त में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाकर उन्हें ‘चाटुकारों’ से घिरा हुआ बताकर कांग्रेस पार्टी के साथ अपनी करीब आधा दशक (50वर्ष) पुरानी यात्रा को विराम दे दिया था। आजाद ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में उतरने का ऐलान कर ‘आजाद डेमोक्रेटिक पार्टी’ बनाई। उनके इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में भी टूट पड़ी और कई वरिष्ठ नेता आजाद के साथ आ गए। लेकिन‘आजाद डेमोक्रेटिक पार्टी गठन के 4 माह बाद ही टूटने लगी है। एक के बाद एक कई नेताओं ने आजाद का साथ छोड़कर कांग्रेस में वापसी कर ली है।
सूत्रों के अनुसार आजाद राजनीतिक रूप से अब कमजोर पड़ गए हैं और कांग्रेस में अपनी वापसी को लेकर सकारात्मक हैं। इधर कांग्रेस भी बिना शर्त उनकी वापसी की बात कह रही है। अंबिका सोनी ने आजाद से इस बारे में बात कर रही हैं। हालांकिअभी तक कुछ भी आधिकारिक रूप से नहीं कहा गया है। कांग्रेस के अंदर आजाद के नेतृत्व वाले जी -23 में शामिल रहे नेता हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा भी आजाद से बात कर रहे हैं। इसके अलावा बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष और जी-23 के सदस्य रहे अखिलेश प्रसाद सिंह भी आजाद के संपर्क में हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का ऐलान कर चुके हैं। इसके बाद आजाद पर भी दबाव और बढ़ गया है। कांग्रेस से बगावत करने वाले उनके कुछ और साथी भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने की फिराक में हैं। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता आजाद को समझा रहे हैं कि उन्हें भी भारत जोड़ो यात्रा से जुड़कर घर वापसी कर लेनी चाहिए।
सूत्रों की मानें 10 जनपथ’ के खास राहुल के करीबी जयराम रमेश ने भी आजाद को मैसेज किया है। सूत्रों का कहना है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में वापसी के लिए तैयार हैं लेकिन वह चाहते हैं कि गांधी परिवार का कोई सदस्य उन्हें एक फोन कॉल कर इसके लिए कहे। लेकिन पार्टी छोड़ते वक्त जिस तरह का निजी हमला उन्होंने राहुल गांधी पर किया था उसकी वजह से गांधी परिवार आजाद को मनाने के मूड में नहीं है। यही चुनौती…उनसे बात कर रहे नेताओं के सामने है।