एनएसएस बीआईटी दुर्ग ने आयोजित किया खादी पर जागरूकता कार्यक्रम : छत्तीसगढ़ सर्वजन विकास समिति का मिला सहयोग

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कताई और बुनाई को आत्मनिर्भरता और स्वशासन के लिए एक विचारधारा तक बढ़ाया गया था। खादी का अर्थ है हाथ से बुना हुआ कपड़ा। 1918 में महात्मा गांधी ने भारत के गांवों में रहने वाली गरीब जनता के लिए राहत कार्यक्रम के रूप में खादी के लिए अपना आंदोलन शुरू किया। इस प्रकार खादी केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।
इसे जारी रखने के लिए एनएसएस बीआईटीडी ने छत्तीसगढ़ सर्वजन विकास समिति के सहयोग से 10 नवंबर को बीआईटीडी बंद सभागार में खादी और ग्राम उद्योग आयोग पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया।

छत्तीसगढ़ सर्वजन विकास समिति एक गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 2004 में राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में हुई थी। उन्हें छत्तीसगढ़ के 9 जिलों में खादी और ग्रामोद्योग के बारे में जागरूकता फैलानी थी, दुर्ग के लिए बीआईटीडी को चुना गया था।

बीआईटीडी के. के. सिद्धांत डॉ. एमके गुप्ता ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया और खादी सामग्री के लाभों के बारे में बताया। कार्यक्रम को केवीआईसी, केवीआईबी, सीओआईआर, डीआईसी से आए विभिन्न वक्ताओं द्वारा आगे बढ़ाया गया। एलडीएम श्री दिलीप कुमार नायक ने केंद्र और राज्य स्तर पर ग्रामोद्योग की विभिन्न योजनाओं और लाभों के बारे में बताया। भुवनेश्वरी साहू, प्रबंधक दुर्ग ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों पर अपने विचार साझा किए। दुर्ग क्षेत्र के जिला समन्वय अधिकारी प्रेमचंद साहू ने क्षेत्रीय स्तर पर स्वरोजगार पर वीडियो दिखाए। हीरा सिन्हा ने बैंकिंग सुविधाओं की जानकारी दी। यह सत्र 2 घंटे तक चला।

पूरे कार्यक्रम में बीआईटी के डायरेक्टर डॉ अरुण अरोड़ा एवं प्रधानाचार्य एनके गुप्ता के नेतृत्व में किया गया । यह एन॰एस॰एस॰ की प्रोग्राम ऑफ़िसर डॉ॰ शबाना नाज़ सिड्डीकी के मार्गदर्शन से सम्पूर्ण हुआ। सभी एनएसएस सदस्यों ने निस्वार्थ भाव से और अत्यधिक स्वेच्छा से इस अभियान में भाग लिया।