(जापान) , जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं जिनमें से एक प्रमुख चुनौती यह भी है कि विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कि प्रगति की रफ़्तार को कैसे बरकरार रखा जाए क्योंकि इसकी आबादी बूढ़ी होने के साथ ही कम भी हो रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के मुख्य प्रवक्ता रहे सुगा को बुधवार को संसद ने प्रधानमंत्री निर्वाचित किया। आबे ने स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुगा ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में जनता के लिए काम करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की प्रतिबद्धता जताई। जापान के लिए एक प्रमुख चुनौती यह है कि इसकी आबादी लगातार घट रही है और बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ रही है। देश में लगातार आठवें साल भी आबादी में कमी दर्ज की गई है और 2050 तक इसमें लगभग 40 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। बूढ़ी होती आबादी भी देश के लिए चिंता का विषय है। सुगा के गृह क्षेत्र अकिता में एक तिहाई से अधिक आबादी 65 साल से अधिक उम्र की है और यहाँ 1950 के दशक से एक तिहाई से अधिक की कमी आई है। चीन के साथ तनावपूर्ण सम्बंध भी प्रधानमंत्री के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। कई अन्य ऐसे मुद्दे भी हैं जिनसे निपटने की कला प्रधानमंत्री के रूप में सुगा के सफल या विफल होने की कहानी बयाँ करेगी। एपी नेत्रपाल दिलीपदिलीप।
यह राजनीतिक परिवर्तन आबे शिंजो की पिछले महीने की गई उस आश्चर्यजनक घोषणा के बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुगा ने मुख्य सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेता के तौर पर जीत हासिल की।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सुगा को सोमवार को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का नया नेता चुना गया। 28 अगस्त को जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे आबे ने अपनी पुरानी बीमारी का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की घोषणा कि थी।
सुगा को डायट (संसद) के दोनों सदनों से पार्टी सदस्यों और स्थानीय प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक में चुना गया। बैठक में मौजूद 394 डायट सदस्यों ने वोट डाला। देश के 47 प्रीफेक्चरल चैप्टर में से प्रत्येक के तीन प्रतिनिधियों द्वारा कुल 141 वोट दिए गए।
दो अन्य उम्मीदवारों में पूर्व रक्षा मंत्री शीगेरू इशिबा (63) और एलडीपी के नीति प्रमुख फुमियो किशिदा (63) थे। सामान्य परिस्थितियों में एलडीपी के शीर्ष नेता को पार्टी से सम्बंधित डायट सदस्यों और रैंक-फाइल सदस्यों द्वारा चुना जाता है। हालांकि, कोरोना महामारी और आबे के कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने के कारण एलडीपी ने प्रक्रिया को सरल बनाने का फ़ैसला किया।