दुर्ग (छत्तीसगढ़)। चौक चौराहों पर भिक्षावृत्ति करने वाले 3 बच्चों का रेस्क्यू महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम द्वारा किया गया है। इन बच्चों से उनके परिजनों द्वारा ही भिक्षावृत्ति कराए जाने का खुलासा जांच में हुआ है। बच्चों में 8 व 10 वर्ष के दो बालक और 10 वर्ष की एक बालिका शामिल हैं।
आपको बता दें कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे के निर्देश पर बाल भिक्षावृति में संलिप्त किशारों को जिला कार्यक्रम, अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम द्वारा रेसक्यू आपरेशन चलाया जा रहा है। जिसके तहत शुक्रवार को सुपेला थाना अंतर्गत सुपेला चैक पर भिक्षावृति कर रहे 8 वर्ष व 10 वर्ष के बालक एवं 10 वर्षीय बालिका सहित कुल 3 नाबालिक किशारों को रेसक्यू कर बाल कल्याण समिति दुर्ग के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कलेक्टर द्वारा जिले में बाल भिक्षावृत्ति रोकने हेतु चाइल्ड लाइन, महिला बाल विकास एवं पुलिस विभाग को पूर्व में ही निर्देशित किया गया है। जिसके तहत बाल भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों को रेस्क्यू कर संरक्षण व सुरक्षा प्रदाय करते हुए नियोजक के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। आज के रेसक्यू अभियान में यह पाया गया कि बच्चों के परिजनों द्वारा ही इन नाबालिक बच्चों से भिक्षावृत्ति का कार्य कराया जा रहा था, जो कि बाल अधिकारों का हनन व बाल शोषण की श्रेणी में आता है। बाल भिक्षावृत्ति में संलिप्त बालकों को बालक कल्याण समिति दुर्ग द्वारा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत संचालित खुला आश्रय गृह दुर्ग एवं बालिका को सखी वन स्टॉप सेन्टर दुर्ग में अस्थायी संरक्षण हेतु आदेशित किया गया है। वर्तमान में बच्चे इन संस्थाओं में सुरक्षित निवासरत हैं। बच्चों के माता पिता को बालक कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित होने हेतु आदेशित किया गया है। उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।