रायपुर, 14 मई 2025।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की करेगुट्टालू पहाड़ियों में सुरक्षा बलों को माओवादियों के खिलाफ बड़ी सफलता हाथ लगी है। राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए 21 दिवसीय नक्सल विरोधी अभियान में कुल 31 वर्दीधारी माओवादी मारे गए, जिनमें 16 महिलाएं शामिल हैं। इस दौरान 216 माओवादी ठिकानों को ध्वस्त किया गया और भारी मात्रा में हथियार, आईईडी, बीजीएल शेल और लेथ मशीनें जब्त की गईं।
यह अभूतपूर्व अभियान 21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चला, जो छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित दुर्गम करेगुट्टालू क्षेत्र में केंद्रित था। यह इलाका माओवादियों की सुरक्षित शरणस्थली माना जाता रहा है, जहां पीएलजीए की तकनीकी यूनिट सक्रिय थी। अभियान में लगभग 300-350 माओवादियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी।

जब्ती का ब्योरा:
- 4 लेथ मशीनें
- 450 आईईडी
- 818 बीजीएल शेल
- 899 बंडल कार्डेक्स
- डेटोनेटर व विस्फोटक सामग्री
- राशन, दवाइयां, दैनिक उपयोग की वस्तुएं
अभियान के दौरान कुल 21 मुठभेड़ें हुईं, जिनमें 3 शव 24 अप्रैल, 1 शव 5 मई, 22 शव 7 मई और 5 शव 8 मई को बरामद किए गए। 18 जवान घायल हुए, जिनका इलाज जारी है और सभी खतरे से बाहर हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इसे माओवाद पर एक “निर्णायक प्रहार” बताया। उन्होंने कहा,
“यह केवल एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि भारत के तिरंगे की विजय यात्रा है।”
उन्होंने दावा किया कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल मुक्त कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह अभियान माओवाद की जड़ों तक पहुँच रहा है।
नक्सलियों की टूटती कमर:
साल 2025 के पहले चार महीनों में 174 माओवादियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। संगठन छोटे-छोटे समूहों में बिखर रहा है। बीजापुर के नेशनल पार्क क्षेत्र और नारायणपुर के माड़ क्षेत्र में भी अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
राज्य सरकार का लक्ष्य है — आमजन का विश्वास जीतना और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में समावेशी विकास सुनिश्चित करना।
