जबलपुर, 14 मई 2025।
मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह के खिलाफ भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए आपत्तिजनक, सांप्रदायिक और महिला-विरोधी बयान को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य पुलिस प्रमुख को आज शाम तक एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। ऐसा न होने पर पुलिस प्रमुख पर अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।
🧑✈️ सेना पर “गटर जैसी भाषा” का इस्तेमाल:
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की पीठ ने विजय शाह की टिप्पणी को “गटर की भाषा” बताया और कहा कि उन्होंने देश की एकमात्र अनुशासित संस्था—सेना—को निशाना बनाया है, जो “ईमानदारी, अनुशासन, बलिदान और चरित्र” की मिसाल है।

अदालत ने कहा कि मंत्री के शब्द भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले हैं और इससे सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा मिलता है।
📜 कौन-कौन से कानून लगे?
अदालत ने माना कि विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना) और आईपीसी की धारा 196 (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना) के तहत मामला बनता है। धारा 152 में उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।
🗣️ क्या कहा था मंत्री ने?
विजय शाह ने मंगलवार को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कहा था:
“जिन लोगों ने हमारी बहनों-बेटियों का सिंदूर मिटाया, उन्हें उन्हीं की बहन ने जवाब दिया… हम उन्हें नंगा नहीं कर सके, इसलिए उनके समाज की एक बेटी को भेजा। मोदी जी ने साबित कर दिया कि तुम्हारे समाज की बेटियां भी पाकिस्तान भेजी जा सकती हैं बदला लेने के लिए।”
इस बयान को लेकर राजनीतिक भूचाल आ गया। सेना के पूर्व अफसरों से लेकर विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनकी बर्खास्तगी की मांग की। बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती ने भी अप्रत्याशित रूप से शाह के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, “ऐसे मंत्री को तुरंत बर्खास्त कर एफआईआर दर्ज की जाए, क्योंकि उन्होंने पूरे देश को शर्मिंदा किया है।”
🛑 सफाई और ‘माफ़ी’:
विजय शाह ने पहले दावा किया कि उनके बयान को “गलत संदर्भ में पेश किया गया”, फिर उन्होंने माफी मांगी:
“कर्नल सोफिया कुरैशी तो मेरी बहन से भी ऊपर हैं, उन्होंने जाति-धर्म से ऊपर उठकर बदला लिया। अगर किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं दस बार माफी मांगता हूं।”
