छत्तीसगढ़ में गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है। अप्रैल माह में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है और इसका सीधा असर बिजली की मांग पर देखने को मिल रहा है। राज्य में अप्रैल में बिजली की अधिकतम मांग 6800 मेगावॉट के पार पहुंच गई है, जो कि अब तक का एक रिकॉर्ड स्तर है। पिछले साल इसी समय बिजली की खपत लगभग 6300 मेगावॉट थी।
राज्य लोड डिस्पैच सेंटर द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, यह मांग पीक टाइम के दौरान दर्ज की गई है। चिंता की बात यह है कि अभी मई और जून का महीना बाकी है, जो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा गर्म माने जाते हैं।

बिजली खपत बढ़ने के मुख्य कारण:
- तेज गर्मी और बढ़ते तापमान के चलते कूलर, एसी और पंखों का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
- रबी सीजन में धान की बोआई और खेतों में बिजली से चलने वाले पंपों द्वारा सिंचाई भी एक बड़ा कारण है।
- औद्योगिकीकरण की रफ्तार से भी बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है।
भविष्य में और बढ़ेगी मांग:
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के अनुसार, वर्ष 2026-27 तक छत्तीसगढ़ को 7661 मेगावॉट बिजली की जरूरत होगी। साल 2016-17 में राज्य की जरूरत मात्र 3875 मेगावॉट थी, जो अब तक दोगुने के करीब हो चुकी है।
बिजली विभाग की तैयारी:
बिजली विभाग ने मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए पहले से योजना बनानी शुरू कर दी है। विभाग इस बात का आकलन कर रहा है कि अगले दो वर्षों में बिजली की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जाए, ताकि प्रदेश में बिजली कटौती या संकट की स्थिति उत्पन्न न हो।
छत्तीसगढ़ के बिजली अधिकारियों का मानना है कि अगर यही रफ्तार रही तो अगले दो सालों में 2600 मेगावॉट से ज्यादा अतिरिक्त बिजली की जरूरत पड़ सकती है।
निष्कर्ष:
तेज गर्मी और तेजी से हो रहे औद्योगिक विकास के कारण छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुकी है। इससे निपटने के लिए राज्य सरकार को दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति अपनानी होगी, ताकि बिजली संकट से बचा जा सके और विकास की रफ्तार थमे नहीं।
