गंगा की लहरों पर किस्मत का खेल: 45 दिनों में नाविक बना करोड़पति

प्रयागराज: हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी अभूतपूर्व सफलता हासिल की। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महाकुंभ के दौरान हुए व्यापार और राजस्व से जुड़े प्रमुख आंकड़ों को साझा किया है, जो इसकी विशाल आर्थिक क्षमता को दर्शाते हैं।

बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक चौंकाने वाली सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि प्रयागराज के एक नाविक परिवार ने महाकुंभ के दौरान 30 करोड़ रुपये की कमाई की। इस परिवार के पास कुल 130 नावें थीं, जिनसे 45 दिनों में यह लाभ अर्जित हुआ। इसका मतलब है कि हर नाव ने औसतन 23 लाख रुपये कमाए, यानी प्रतिदिन 50,000 रुपये से अधिक की आय हुई।

महाकुंभ का 3 लाख करोड़ रुपये का व्यापारिक प्रभाव
राज्य सरकार के अनुसार, महाकुंभ 2025 के दौरान कुल 3 लाख करोड़ रुपये का व्यवसाय हुआ। इसके अलावा, सरकार को इस आयोजन से 55,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। इस महायोजना ने लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्रदान किया।

महाकुंभ 2025 में लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिससे यह इतिहास के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बन गया। इसकी आर्थिक गतिविधियों का स्तर इतना विशाल था कि 16 बैंकों ने मेले के भीतर अपनी शाखाएं स्थापित कीं, जहां 37 करोड़ रुपये के लेन-देन दर्ज किए गए।

सरकार का बड़ा निवेश और प्रभावशाली व्यवस्थाएँ
महाकुंभ के सुचारू संचालन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए, जबकि केंद्र सरकार ने प्रयागराज में 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह राशि बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और सुविधाओं को बेहतर बनाने में खर्च की गई, जिससे आयोजन को निर्बाध रूप से संपन्न किया जा सका।

महाकुंभ 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि यह केवल एक आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक आर्थिक शक्ति भी है, जिसने प्रयागराज और पूरे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

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