सातारा के योगेश चव्हाण ने गांवों को जलसमृद्ध बनाकर पेश की मिसाल

सातारा: पुणे की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एचआर मैनेजर के रूप में काम कर रहे योगेश चव्हाण ने एक दशक पहले अपने गांव दहीगांव और आसपास के क्षेत्रों में जल संकट को देखते हुए बदलाव की शुरुआत की। उनका लक्ष्य था जल संसाधनों को पुनर्जीवित करके किसानों की मदद करना, ताकि वे खेती को प्राथमिकता दें और रोजगार के लिए शहरों का रुख न करें।

जल संकट से समाधान की ओर
दहीगांव में जमीन तो थी लेकिन पानी की कमी थी। 2014 में योगेश ने अपने गांव में पानी की समस्या को हल करने के लिए काम शुरू किया। हर शनिवार को वे सातारा जाकर समान विचारधारा वाले लोगों को इस मिशन से जोड़ते। उनके पहले प्रोजेक्ट में वसना नदी पर बने एक पुराने बांध की मरम्मत शामिल थी। बांध के लीकेज को ठीक किया गया और टूटे गेट्स को बदला गया। इसके बाद उन्होंने वसना नदी से गाद हटाने और इसके किनारों को चौड़ा करने का कठिन कार्य किया।

परिणामस्वरूप हरियाली और खुशहाली
इस परियोजना ने नदी को नया जीवन दिया, भूजल स्तर को पुनर्जीवित किया और बंजर भूमि को हरित क्षेत्र में बदल दिया। किसान, जो कभी फसल उगाने के लिए संघर्ष करते थे, अब जल समृद्धि के कारण बेहतर जीवन जी रहे हैं। दहीगांव के सुरेंद्र पाटिल के अनुसार, अब गांव में कुएं सिर्फ 15 फीट की गहराई पर पानी से भरे रहते हैं, जबकि 10 साल पहले यह 350 फीट गहराई पर मिलता था।

अन्य गांवों में भी सफलताएं
दहीगांव को जलसमृद्ध बनाने के बाद योगेश ने असनगांव, शाहापुर, रांदुळ्लाबाद और पलशी जैसे गांवों में भी अपनी सफलता की कहानी दोहराई। इन गांवों में भी जल स्तर को बढ़ाकर किसानों के जीवन में सुधार किया गया।

योगेश की निरंतरता
हालांकि योगेश अब मुंबई में नौकरी कर रहे हैं, लेकिन वे समय-समय पर इन गांवों का दौरा कर काम की प्रगति का निरीक्षण करते हैं। उनका यह प्रयास ग्रामीण विकास और जल संरक्षण का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *