बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की 151 साल पुरानी ऐतिहासिक केंद्रीय जेल, जिसे 1873 में तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश में स्थापित किया गया था, जल्द ही देश की पहली ‘ग्रीन जेल’ के रूप में विकसित की जाएगी। इस जेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 242 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों को कैद में रखा था, जिनमें प्रसिद्ध कवि और लेखक माखनलाल चतुर्वेदी भी शामिल थे। चतुर्वेदी ने यहां अपने आठ महीने के कार्यकाल के दौरान अपनी प्रसिद्ध कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ लिखी थी।
ग्रीन जेल का उद्देश्य:
इस परियोजना का उद्देश्य जेल परिसर को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। इसमें मुख्य रूप से सौर ऊर्जा का उपयोग, प्लास्टिक और पॉलिथीन के न्यूनतम उपयोग, हरियाली का विस्तार और जल संरक्षण जैसे उपाय किए जाएंगे।
तीन चरणों में होगा विकास:
जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक, हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इस परियोजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा:
- पहला चरण: जल और ऊर्जा संरक्षण, प्लास्टिक व पॉलिथीन का उपयोग समाप्त करना।
- जेल परिसर में प्लास्टिक और पॉलिथीन को रीसायकल करने के लिए एक संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इनसे ईंटें बनाई जाएंगी।
- वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की जाएगी।
- ऊर्जा ऑडिट कर अनावश्यक बिजली खपत को रोका जाएगा।
- दूसरा चरण:
- जेल कर्मचारियों और कैदियों को रीसाइक्लिंग और जल संरक्षण की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- कचरा प्रबंधन प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग संग्रह और निपटारा किया जाएगा।
- तीसरा चरण:
- जेल परिसर को एक ऑक्सीजन जनरेटर के रूप में विकसित किया जाएगा।
- जेल के अंदर वनस्पति और जीव-जंतुओं की विविधता का अध्ययन किया जाएगा।
प्राकृतिक और सामाजिक लाभ:
इस हरित पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को संरक्षित करना है, बल्कि कैदियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिससे वे समाज में पुनः एकीकृत हो सकें। कैदियों को प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और जल संरक्षण जैसी नई स्किल्स में प्रशिक्षित किया जाएगा।
विशेषताएं:
- सौर ऊर्जा से पूरे जेल परिसर को संचालित किया जाएगा।
- प्लास्टिक कचरे से बनी ईंटों का उपयोग किया जाएगा।
- जेल के भीतर हरियाली बढ़ाने के लिए एनजीओ के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।
जेल प्रबंधन का मानना है कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।