छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को 56 वर्षीय महिला को 64.89 लाख रुपये का मुआवजा 30 दिनों के भीतर चुकाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकल पीठ ने यह आदेश दिया।
महिला ने अपनी जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। यह जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग 43 (अंबिकापुर से पथलगांव) के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी। महिला ने बताया कि 2015 में अधिग्रहण के बाद भी मुआवजा नहीं दिया गया। उनकी जमीन 0.046 हेक्टेयर (खसरा संख्या 921/3) और 0.047 हेक्टेयर (खसरा संख्या 921/4) को अधिग्रहित किया गया था।
मुआवजे की प्रक्रिया
2019 में उपखंड अधिकारी (एसडीओ) ने मुआवजा तय किया था, लेकिन महिला ने उसे अपर्याप्त मानते हुए सरगुजा संभाग आयुक्त के पास अपील की। आयुक्त ने मामला वापस एसडीओ को भेजते हुए 2017-18 के बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजा तय करने का निर्देश दिया।
2022 में संशोधित निर्णय के तहत 64,89,168 रुपये मुआवजा निर्धारित किया गया। हालांकि, इसके बावजूद महिला को राशि नहीं दी गई।
अदालत की टिप्पणी
याचिकाकर्ता के वकील ऋषभ गुप्ता ने तर्क दिया कि संशोधित मुआवजा तय होने के बावजूद, अधिकारियों ने भुगतान में देरी की, जिससे महिला को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा।
अदालत ने पाया कि एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी (राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र), और परिवहन मंत्रालय ने मुआवजे के खिलाफ कोई कानूनी अपील नहीं की, लेकिन भुगतान में जानबूझकर देरी की।
अदालत ने मुआवजा राशि और ब्याज 30 दिनों के भीतर एसडीओ के पास जमा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने महिला की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि मुआवजा समय पर न मिलना न्याय के साथ अन्याय है।