अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की गिनती अब बस कुछ ही घंटों की दूरी पर है। 5 नवंबर को होने वाले इस निर्णायक मुकाबले में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट कमला हैरिस आमने-सामने होंगे, जिसका असर न केवल वैश्विक बाजारों पर बल्कि भारतीय शेयर बाजार पर भी व्यापक रूप से देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव का परिणाम आईटी, फार्मास्युटिकल, रक्षा, और तेल जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।
लेमोन मार्केट्स डेस्क के गौरव गर्ग के अनुसार, ट्रंप की जीत से जहां बाजार में थोड़ी राहत की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं डेमोक्रेट्स की जीत से स्थिरता बनी रह सकती है। गर्ग ने कहा, “ट्रंप की जीत से अल्पकालिक तौर पर इक्विटी में तेजी आ सकती है, जबकि डेमोक्रेट्स की जीत बाजार को स्थिर बनाए रखेगी।”
ट्रंप की जीत से ट्रेड वॉर की संभावना एक बार फिर बढ़ सकती है, जिससे अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी यील्ड्स पर असर पड़ेगा, जिसका सीधा असर वैश्विक इक्विटी और कमोडिटी बाजारों पर पड़ सकता है। डॉलर में मजबूती और यील्ड्स बढ़ने से भारत जैसे उभरते बाजार दबाव महसूस कर सकते हैं, क्योंकि विदेशी निवेशक अपने पोर्टफोलियो वापस अमेरिका की ओर मोड़ सकते हैं।
आईटी क्षेत्र पर भी इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है। डेमोक्रेट्स के तहत बढ़ी हुई कॉर्पोरेट टैक्स दरें आईटी खर्च को कम कर सकती हैं, जबकि ट्रंप की जीत के बाद मिडकैप आईटी फर्मों के लिए अवसर बन सकते हैं, खासकर अगर चीन की ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा हटाने की योजना लागू होती है।
फार्मा क्षेत्र में भी दोनों पार्टियों की नीतियां भारतीय कंपनियों पर असर डाल सकती हैं। जहां रिपब्लिकन जनरिक दवाओं में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं, वहीं डेमोक्रेट्स तेज जनरिक अनुमोदनों का समर्थन कर सकते हैं, जिससे भारतीय दवा कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अधिक अवसर मिल सकते हैं।
तेल और रक्षा क्षेत्रों पर भी असर देखने को मिल सकता है। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति से भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ हो सकता है, जबकि तेल और गैस के प्रति उनके समर्थन से भारतीय अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम ऑपरेशन्स प्रभावित हो सकते हैं। वहीं कमला हैरिस के जलवायु नीति पर ध्यान केंद्रित करने से भारतीय सोलर निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।
गर्ग ने बताया कि भारतीय शेयर बाजार पहले से ही इस चुनाव की अनिश्चितता का दबाव महसूस कर रहा है। दिवाली के मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान बाजार में थोड़ी स्थिरता देखने के बाद, यह फिर से गिरावट की ओर बढ़ गया है, क्योंकि चुनाव और फेडरल रिजर्व की संभावित नीतियों का असर बाजार पर छा रहा है।
गर्ग ने कहा, “फंडामेंटल रूप से, भारतीय बाजार नाजुक स्थिति में है। दूसरी तिमाही के परिणाम कमजोर रहे हैं और बाजार का मूल्यांकन अब भी आकर्षक जोन में नहीं आया है।” इसके अलावा, अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1.14 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड निकासी की है, जो जोखिमों को बढ़ावा दे रहा है।