विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने तपेदिक (टीबी) रोगियों के इलाज कवरेज में बड़ी सफलता हासिल की है और टीबी से बचाव हेतु दिए जाने वाले उपचार में भी महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज की है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च जोखिम वाले लोगों को, जैसे टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों और एचआईवी से ग्रसित लोगों को, 6-9 महीने तक प्रतिदिन आइसोनियाजिड की खुराक दी जाती है, जो दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली टीबी प्रतिरोधक उपचार पद्धति है।
2023 में 12.2 लाख लोगों को इस बचाव उपचार में शामिल किया गया, जो 2022 के 10.2 लाख और 2021 के 4.2 लाख के आंकड़ों से अधिक है। भारत ने टीबी रोगियों में 85% उपचार कवरेज सुनिश्चित किया है और 30 उच्च टीबी-बोझ वाले देशों में से सात देशों में शामिल है जिन्होंने यह कवरेज हासिल किया है।
भारत सरकार टीबी उपचार के लिए मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराती है, क्योंकि यह इलाज महंगा हो सकता है और लगभग दो साल तक चल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य टीबी उपचार में सफलता दर 89% है, जबकि दवा-प्रतिरोधी टीबी के लिए यह दर 73% और गंभीर रूप से प्रतिरोधी टीबी के मामलों में 69% है। भारत सरकार ने रोगियों के उपचार में पालन सुनिश्चित करने के लिए पिल बॉक्स जैसी योजनाएं बनाई हैं, जो मरीजों को दवाई लेने की याद दिलाती हैं और दवाई के छोटे कोर्स भी लागू किए हैं।
2023 में भारत में टीबी के मामलों और टीबी से होने वाली मौतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। अनुमानित रूप से 2023 में भारत में 28 लाख टीबी के मामले सामने आए, जो कि वैश्विक मामलों का 26% है। टीबी से संबंधित अनुमानित 3.15 लाख मौतें हुईं, जो वैश्विक आंकड़ों का 29% है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अनुमानित मामलों और वास्तविक रूप से पहचाने गए मामलों के बीच का अंतर घटता जा रहा है। 2023 में भारत ने 25.2 लाख मामलों की पहचान की, जो पिछले वर्ष के 24.2 लाख मामलों से अधिक है।