भारत में युवाओं में बढ़ रहा प्रोस्टेट कैंसर का खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी

नई दिल्ली: प्रोस्टेट कैंसर, जो आमतौर पर वृद्ध पुरुषों में होता है, अब भारत में कम उम्र के पुरुषों में भी तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, 50 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में यह बीमारी अधिक आक्रामक रूप में सामने आ रही है। हालांकि, अगर इसका जल्द पता चल जाए, तो इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि यह कैंसर अक्सर धीमी गति से बढ़ता है।

सितंबर को प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पुरुषों में होने वाले इस आम कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में युवाओं में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है।

दिल्ली स्थित यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया, “प्रोस्टेट कैंसर का जल्द पता लगने से जीवित रहने की संभावना काफी बढ़ जाती है, क्योंकि यह बीमारी अक्सर धीमी गति से बढ़ती है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सबसे बड़ी समस्या देर से निदान होना है, जिसके कारण कैंसर का इलाज मुश्किल हो जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में 37,948 पुरुष प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पाए गए, जो देश में दर्ज किए गए 14 लाख नए कैंसर मामलों का लगभग 3% है। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि 50 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में काफी वृद्धि हुई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोस्टेट कैंसर को शुरुआती चरणों में पहचानना और जागरूकता फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल इस बीमारी से बचाव हो सकता है, बल्कि लोगों को समय पर सही उपचार भी मिल सकता है।

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