प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक प्रकाश बेलावाड़ी ने हाल ही में कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि बेंगलुरु के बाहर के लोग यह कैसे दावा कर सकते हैं कि वे शहर के विकास का कारण हैं। बेलावाड़ी ने कहा कि बेंगलुरु हमेशा से एक ‘महान’ शहर रहा है और बाहरी लोगों ने इसके विकास में कोई योगदान नहीं दिया है। उनका यह बयान उस समय आया जब टेक्नोलॉजी हब बेंगलुरु में स्थानीय बनाम बाहरी लोगों की बहस चरम पर है।
यूट्यूब चैनल ‘Skandyyman’ पर एक पॉडकास्ट में बात करते हुए, बेलावाड़ी ने कहा, “मैंने शहर में कई बाहरी लोगों को यह कहते हुए सुना है कि बेंगलुरु उनके यहां काम के लिए आने के बाद महान बना। लेकिन सच्चाई यह है कि बेंगलुरु पहले से ही एक महान शहर था, इससे पहले कि वे यहां आए। वे एक भ्रमित दुनिया में जी रहे हैं, सोचते हैं कि उन्होंने बेंगलुरु को आज जो है, वह बना दिया। वे शहर छोड़ सकते हैं, फिर भी बेंगलुरु विकसित रहेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि जो उत्तर भारतीय सोचते हैं कि वे बेंगलुरु के विकास का कारण हैं, उन्हें शहर छोड़ देना चाहिए। बेलावाड़ी ने कहा, “जब मैं उत्तर भारतीयों से पूछता हूं कि वे बेंगलुरु क्यों आए, तो वे कहते हैं कि वे यहां बेहतर अवसरों के लिए आए हैं। उन्हें खुद से पूछना चाहिए कि उन्हें ये बेहतर अवसर किसने दिए? वे खुद को इस अवांछित अधिकार से पहले सवाल करें।”
बेलावाड़ी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बेंगलुरु छोड़ने वाले नहीं हैं और यहीं बसने का इरादा रखते हैं। उन्होंने कहा, “मैं अपने शो के लिए बहुत यात्रा करता हूं, और वास्तव में मैंने सबसे लंबा समय ऑस्ट्रेलिया में बिताया। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं किसी अन्य देश में बसना चाहता हूं। किसी और देश की बात तो छोड़िए, मैं बेंगलुरु नहीं छोड़ने वाला हूं। मैं यहां बड़ा हुआ हूं और मैं इस शहर को छोड़ नहीं सकता।”
अभिनेता ने बेंगलुरु में रहने वाले केरलवासियों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “मैं बेंगलुरु में कई मलयाली लोगों से मिलता हूं। वे केरल को ‘ईश्वर का अपना देश’ कहते हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि वे ‘ईश्वर के अपने देश’ को छोड़कर बेंगलुरु क्यों आए।”
बेलावाड़ी की इन टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां कई लोग अभिनेता के विचारों की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग उनसे असहमत भी हैं।