पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिकी हस्तक्षेप का आरोप लगाया

भारत में वर्तमान में रह रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से हटने के पीछे अमेरिका की संलिप्तता के संकेत दिए हैं। उद्धृत एक संदेश में उन्होंने कहा, “मैंने इसीलिए इस्तीफा दिया ताकि मुझे खून-खराबा न देखना पड़े। वे छात्र-छात्राओं की लाशों पर सत्ता हासिल करना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं सत्ता में रह सकती थी अगर मैं सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को छोड़ देती और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी में हावी होने देती। मैं अपने देश के लोगों से अनुरोध करती हूं, ‘कृपया चरमपंथियों के बहकावे में न आएं।’”

सेंट मार्टिन का द्वीप, जो सिर्फ 3 वर्ग किलोमीटर का छोटा भूखंड है, उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में स्थित है। यह द्वीप कॉक्‍स बाजार-टेकनाफ प्रायद्वीप के लगभग 9 किलोमीटर दक्षिण में बांग्लादेश का दक्षिणतम बिंदु है।

पहले भी, शेख हसीना ने बांग्लादेश में शासन परिवर्तन की कोशिशों में अमेरिकी हाथ होने का आरोप लगाया था। उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय ने सुझाव दिया कि हाल के प्रदर्शनों को शायद एक विदेशी खुफिया एजेंसी ने भड़काया हो। हालांकि उन्होंने अमेरिका का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा, “मुझे अब पूरी तरह यकीन है कि यह एक छोटे समूह, संभवतः एक विदेशी खुफिया एजेंसी द्वारा उकसाया गया था। मुझे आईएसआई पर शक है। सरकार ने 2018 में या उसके आसपास पहले कोटा विरोध के दौरान कोटा को हटा दिया था और हमारी सरकार ने कोटा बहाल कर दिए थे, इसलिए इन प्रदर्शनों को जारी रखने का कोई कारण नहीं था।”

अमेरिकी सरकार ने लगातार ढाका के मानवाधिकार रिकॉर्ड और चुनावी प्रक्रियाओं की आलोचना की है। लगभग 3 वर्ग किलोमीटर में फैला यह द्वीप लगभग 3,700 निवासियों का घर है, जो मुख्य रूप से मछली पकड़ने और समुद्री शैवाल की कटाई में लगे हुए हैं। इन शैवालों को सुखाकर म्यांमार निर्यात किया जाता है।

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