जिला जनसंपर्क कार्यालय, दुर्ग (छ.ग.):- वर्ष 2024 के प्रथम नेशनल लोक अदालत में कुल 1,13,542 मामले

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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ०ग०राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा श्रीमती नीता यादव, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में 09 मार्च 2024 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3. व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड, श्रम न्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।


नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर श्रीमती नीता यादव जिला न्यायाधीश दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10ः30 बजे किया गया । शुभारंभ कार्यक्रम में श्री सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, श्री संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग श्री राकेश कुमार वर्मा, द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग की अध्यक्ष सुश्री नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक नेशनल लोक अदालत में कुल 29 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय उपस्थित रहे। दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 19, तहसील न्यायालय भिलाई-3 में 02 खण्डपीठ, तहसील पाटन हेतु 01 खण्डपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 श्रम न्यायालय हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था। उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल परिवार, मोटर दुर्घटना दावा, से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग/ वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है। नेशनल लोक अदालत के अवसर पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य जाँच/परीक्षण हेतु एक दिवसीय “निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया गया जिसमें उक्त विभाग/कार्यालय की ओर से डॉ. श्रेया द्विवेदी, श्री खेमलाल कुर्रे नर्सिंग ऑफिसर, श्री प्रवीण कुमार फरमासिस्ट, श्री चंद्रप्रकाश, श्री राजू यादव वार्ड ब्वाय के द्वारा सेवाएं प्रदान की गयी। उक्त आयोजित “निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर“ में न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण एवं बड़ी संख्या में पक्षकार व आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच / परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभांवित हुए हैं।
वर्ष 2024 के इस प्रथम नेशनल लोक अदालत में कुल 7315 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 106227 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 542545131/- रूपये रहा। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 735 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 51 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 177 चेक अनादरण के 450 मामलें, व्यवहार वाद के 65 मामलें, श्रम न्यायालय के कुल 28 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐं) दुर्ग के कुल 1014 मामलें निराकृत हुए।
उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण भरण-पोषण एवं पुनर्वास के मामले में अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी बने
मामले के पीठासीन अधिकारी पीठ संख्या 01 श्री सिराजुद्दीन कुरेशी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें आवेदिका पत्नि जिनके एक पुत्री भी है के द्वारा अनावेदक अपने पति के विरूद्ध भरण पोषण एवं धारा 9 हि.वि.अधि. के तहत पुर्नस्थापना का मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जिसमें पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर आपसी सुलह के काफी प्रयास किया गया अनावेदक पति अपने पत्नि से तलाक की जिद पर अड़ा था आज नेशनल लोक अदालत में माननीय न्यायालय के समझाईश पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भुलकर आपसी राजीनामा कर साथ-साथ रहकर पुनः दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार हो गये । इस प्रकार दोनों पुनः खुशहाल जीवन जीने राजीखुशी वापस घर गये। इस तरह लोक अदालत के माध्यम से एक टूटा हुआ मकान पुनः घर में परिवर्तित हो गया।


धारा 10 हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत न्यायिक पृथककरण के मामलें में पति-पत्नि साथ रहने हुए तैयार
मामला खण्डपीठ क. 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमान् सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें प्रतिवादिनी अपने मायके चली गयी थी वादी द्वारा काफी प्रयास किये जाने पर प्रतिवादिनी वादी के घर वापस आयी । प्रतिवादिनी द्वारा वादी को तलाक देने की बात कहे जाने पर एवं प्रतिवादिनी के व्यवहार के कारण वादी की मां अकेले किराये के मकान में रहने चली गयी और वादी को अपना मनोचिकित्सक के पास ईलाज कराना पडा था जिससे वादी पति के द्वारा प्रतिवादिनी पत्नि के विरूद्ध न्यायिक पृथककरण का मामला न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ा था। आज नेशनल लोक अदालत के अवसर पर उक्त मामलें में माननीय न्यायालय के द्वारा दी गयी समझाईश से उभय पक्ष पुरानी बातों को भुलकर मामलें में आपसी राजीनामा करते हुए साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने तैयार होकर माननीय न्यायालय का आभार व्यक्त कर राजीखुशी अपने घर चले गये ।
पैतृक भूमि के विवाद में भाई-बहन के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण समाप्त हुआ
मामला खण्डपीठ क. 19 के पीठासीन अधिकारी कु० अंकिता तिग्गा पंचदश व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें प्रतिवादीगण भाईयों के द्वारा पैतृक भूमि का विकय अपनी बहन वादिनी को बिना बताये कर रहे थे। जिस पर वादी के द्वारा न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया था। उक्त मामला दो बार समझाईश हेतु मध्यस्थता केन्द्र भी भेजा गया था। उक्त प्रकरण में आपसी राजीनामा का प्रयास किया गया और आज नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के द्वारा समझाईश दिये जाने से प्रकरण आपसी राजीनामा से समाप्त हो गया तथा भाई-बहन दोनों आपस में राजीखुशी अपने घर वापस चले गये और उनके मध्य मधुर संबंध फिर से स्थापित हुए। इसके अतिरिक्त दोनो पक्षकारों ने आपस में एक दुसरे को वादा किया कि भविष्य में होली व विशेष तौर पर रक्षाबंधन का पर्व साथ में हर्षोल्लास से मनाएंगे।


12 वर्ष पुराने धारा 500 भा.दं.वि. के मामलें में हुआ राजीनामा


मामला खण्डपीठ क. 07 के पीठासीन अधिकारी श्री जनार्दन खरे न्या. मजि.प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें आवेदक परिवादी के द्वारा अनावेदक / अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा 500 भा.दं. वि. का न्यायालय के समक्ष दिनांक 04/06/2012 को संस्थित किया गया था। उक्त मामले का विभिन्न न्यायालय में विचार हुआ था संबंधित मामला उक्त खण्डपीठ के समक्ष दिनांक 13/11/2023 को रखा गया जिसमें प्रकरण साक्ष्य स्तर पर लंबित था जिसमें 14/2/2024 को परिवादी साक्ष्य पूर्ण कराकर दि. 15/02/2024 के लिए स्पष्टीकरण के लिए रखते हुए प्रतिरक्षा साक्ष्य हेतु मामला नियत किया गया था। प्रकरण में माननीय न्यायालय के द्वारा समझाईश दिये जाने से मामले में परिवादी आवेदक व अनावेदक / अभियुक्तगण के मध्य आपसी राजीनामा कर मामला में आज नेशनल लोक अदालत में 12 वर्षों बाद समाप्त हुआ। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से 12 वर्ष से न्याय हेतु इंतजार का अंत हुआ। जिसमें लोक अदालत का उद्देश्य पूर्ण हुआ अर्थात् “लोक अदालत का सार, न किसी की जीत, न किसी की हार“।
नेशनल लोक अदालत में वीडियो कॉफ्रेसिंग के माध्यम से हुआ प्रकरण में राजीनामा
मामला खण्डपीठ क. 16 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती सविता ठाकुर न्या. मजि. प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें आरोपीगण व प्रार्थी दोनों खुर्सीपार भिलाई में आपस में पडोसी हैं आपस में लड़ाई झगड़ा गाली गलौच होने से प्रार्थी के द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी जिससे मामला न्यायालय आया। उक्त मामले में प्रार्थी के न्यायालय आने में असमर्थ होने से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रार्थी को समझाईश दिये जाने पर प्रार्थी आरोपीगण से आपसी राजीनामा हेतु तैयार होकर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रकरण में आपसी राजीनामा कर मामला समाप्त किया गया जिससे कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मंशा “न्याय आपके द्वार“ पूर्ण हुई।
मामला खण्डपीठ क. 11 के पीठासीन अधिकारी श्री सत्यानंद प्रसाद न्या. मजि. प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें प्रार्थी ने अभियुक्त के विरूद्ध धारा 138 एन.आई.ए. का मामला माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। प्रार्थी वर्तमान में गोवा में कार्यरत होने तथा छुट्टी नहीं मिलने के कारण अपने मामले में सुनवाई हेतु आज न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था जिस पर न्यायालय द्वारा विडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण कर मामला समाप्त किया गया। प्रार्थी का गोवा में रहते हुए भी प्रकरण समाप्त होने से उसने न्यायालय को आभार व्यक्त किया।
सामाजिक विवाद के मामले में हुई आपसी राजीनामा प्रकरण हुआ समाप्त
मामला खण्डपीठ क. 12 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती अमृता दिनेश मिश्रा न्या. मजि.प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें राजपूत क्षत्रिय महासभा के मध्य महासचिव व वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा प्रार्थी के बीच वर्ष 2022 से सामाजिक वाद-विवाद चल रहा था जिसमें माननीय न्यायालय व समाज के लोगों के समझाईश के बाद दोनों पक्षों के द्वारा आपसी राजीनामा कर आपसी मनमुटाव समाप्त कर प्रकरण समाप्त करते हुए हँसी-खुशी अपने घर वापस गये ।