एटीएम से जमा की गई राशि नहीं जमा हुई खाता में, एक्सिस बैंक पर उपभोक्ता फोरम ने लगाया हर्जाना

एटीएम के माध्यम से जमा की गई रकम को लौटाने में बैंक प्रबंधन द्वारा की गई आनाकाना को जिला उपभोक्ता फोरम ने गंभीरता से लिया है। बैंक प्रबंधन ने इस रकम को संबधित के खाता में जमा कराने में लगभग 11 माह का समय लगा दिया था। फोरम ने बैंक की इस कार्य प्रणाली को सेवा में कमी तथा व्यवसायित दुराचरण की श्रेणी में मानते हुए रकम पर ब्याज की राशि को हर्जाना के साथ एक माह की अवधि में वापस करने का आदेश पारित किया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला एक्सिस बैंक की सुपेला शाखा से संबंधित है। वशाली नगर निवासी अरूण मिश्रा द्वारा बैंक की एटीएम मशीन के माध्यम से 21 नवंबर 2017 को 15 हजार रु. की रकम जमा की थी। एटीएम मशीन में रकम तो जमा हो गई, लेकिन मशीन से ट्रांजेक्शन फेल होने संबंधी पर्ची मशीन से प्राप्त हुई। जिस पर बैंक से संपर्क किए जाने पर प्रबंधन ने 7 दिन के अंदर जमा की गई राशि को खाता में डाल दिए जाने का आश्वासन दिया था। यह अवधि बीत जाने के बाद भी खाता में रकम के जमा नहीं होने पर बैंक प्रबंधन से संपर्क किया गया। बैंक प्रबंधन लगातार रकम को जल्द खाता में जमा करने का आश्वासन देता रहा, लेकिन खाता में रकम जमा नहीं की गई। लगभग 5 माह बाद रकम का समायोजन करने से बैंक प्रबंधन ने स्पष्ट रुप से इंकार कर दिया। इस संबंध में 22 मई 2018 को रजिस्टर्ड नोटिस भेजा गया। जिसका किसी प्रकार का जवाब नहीं मिलने पर मामले को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पेश किया गया था।
बैंक ने कहा जमा करा दी थी रकम
जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष बैंक प्रबंधन की ओर से लिखित जवाब पेश किया गया। जिसमें फोरम को बताया गया कि तकनीकि ऋटि के कारण खाता में रकम जमा नहीं हो पाई थी। खाता धारक की शिकायत सहीं पाए जाने के बाद एटीएम से जमा की गई रकम को संबंधित के खाता में 11 अक्टूबर 2018 को जमा कर दी गई थी और इस संबंध में खाता धारक को सूचित भी कर दिया गया था।
फोरम ने कहा बैंक ने अपनाया गैर जिम्मेदाराना आचरण
प्रकरण विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक द्वारा की गई अपनाई कार्रवाई को गैर जिम्मेदाराना आचरण निरुपित किया। फरोम ने इसे सेवा में कमी और व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में मानते हुए खाता धारक को इससे हुई मानसिक पीड़ा के लिए हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया है। फोरम ने बैंक प्रबंधन को एक माह की अवधि में विवादित राशि पर ब्याज की राशि को देने तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 3 हजार रु. व वाद व्यय की राशि 1 हजार अदा करने का आदेश दिया है।

You cannot copy content of this page