शीर्ष अदालत के तीन अहम फैसले, सबरीमाला पर बड़ी बेंच करेगी विचार, राफेल पर जांच नहीं, राहुल गांधी को नसीहत

देश के तीन अहम मामलों पर गुरुवार को शीर्ष अदालत द्वारा फैसला दिया गया है। शीर्ष अदालत ने सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश संबंधी पुर्नविचार याचिका को विचार के लिए 7 सदस्यीय पीठ को भेजे जाने का निर्णय लिया है। तब तक मंदिर में सभी महिलाओं का प्रवेश शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए फैसले के अनुसार जारी रहेगा। वहीं राफेल खरीदी की जांच के लिए दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके अलावा राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल अवमानना के मामले में शीर्ष अदालत ने उन्हें नसीहत देते हुए इस मामले से राहत प्रदान की है।

नई दिल्ली। शीर्ष अदालत ने केरल के सबरीमाला मंदिर पर बड़ा फैसला सुनाते हुए महिलाओं के प्रवेश पर फिलहाल रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही इस मामले को बड़ी बेंच में भेज दिया है। अब सात जजों की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। मामले में दो जजों की असहमति के बाद यह केस बड़ी बेंच को सौपा गया है। सबरीमाला केस की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा। परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए। संविधान पीठ ने बहुमत के निर्णय में शीर्ष अदालत के 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की और न ही पहले के फैसले पर रोक लगाई है। इस मामले में जस्टिस आर.एफ . नरिमन और जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ ने अल्पमत का फैसला सुनाते हुए सभी पुनर्विचार याचिकायें खारिज कर दीं। साथ ही उन्होंने 28 सितंबर 2018 के निर्णय पर अमल का निर्देश दिया। जिसमें सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दी गई थी।
राफेल पर मोदी सरकार को राहत
राफेल डील पर दाखिल सभी पुर्नविचार याचिकाओं को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है। इससे मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किए जाने का फैसला गुरुवार को सुनाया। अदालत ने 14 राफेल लड़ाकू विमान के सौदे को वैध मानते हुए 14 दिसंबर, 2018 के अपने फैसले को बरकरार रखा है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी की दलीलों को खारिज कर दिया गया है। बेंच ने कहा कि हमें ऐसा नहीं लगता कि इस मामले में किसी तरह की कोई जांच होनी चाहिए। हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि अभी इस मामले में कॉन्ट्रैक्ट चल रहा है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में हुई भूल को भी स्वीकार किया है। राफेल सौदे के मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशंवत सिन्हा और अरुण शौरी की ओर पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थी। इन्होंने 14 दिसंबर 2018 के शीर्ष अदालत के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, जिसमें फ्रांस की कंपनी से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गई थी।