राज्यपाल अनुसूइया उइके ने कहा है कि महावीर स्वामी का संदेश जियो और जीने दो का संदेश है। यह पूरी दुनिया में शांति का संदेश है। महावीर स्वामी का जीवन हमारे सामने बड़ा आदर्श प्रस्तुत करता है। वे राजपरिवार में पैदा हुए लेकिन समाज को सच्ची राह दिखाने सांसारिक सुखों का पूरी तरह से परित्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि जब मैं जैन भिक्षुओं का जीवन देखती हूँ तो उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है और मोक्ष प्राप्त करने के लिए दीक्षा बहुत आवश्यक है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूइया उइके का रविवार को जैन समाज द्वारा शहर में आयोजित जिन दीक्षा समारोह में शामिल होने नगरागमन हुआ था। इस अवसर पर आचार्य विमर्श सागर का आशीर्वाद भी लिया। उन्होंने कहा कि जैन आचार्यों के प्रवचन व आर्शिवाद की उनके जीवन में संस्कार के बीज रुप में अहम भूमिका रही है। जैन समाज में उनकी अनेक महिला मित्र है। उनके परिवारों के साथ मुझे भी जैन समाज के आचार्यों का आशीर्वाद मिला और मैं उनके प्रवचनों से लाभान्वित हुईं।
उन्होंने बताया कि महावीर स्वामी का संदेश जियो और जीने दो का संदेश है। यह पूरी दुनिया में शांति का संदेश है। महावीर स्वामी का जीवन हमारे सामने बड़ा आदर्श प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि जब मैं जैन भिक्षुओं का जीवन देखती हूँ तो उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है। सांसारिक सुखों का पूरी तरह परित्याग कर वे हमें संयम की सीख देते हैं। अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं। अत्यंत संयम और कठिन जीवन बिताने वाले जैन भिक्षु समाज के लिए आदर्श हैं। जैन भिक्षु केवल अपने समाज को राह नहीं दिखा रहे, उनके आदर्शों से पूरे समाज को नई दिशा मिल रही है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है और मोक्ष प्राप्त करने के लिए दीक्षा बहुत आवश्यक है। दीक्षा प्राप्त व्यक्ति ही महावीर स्वामी के बताये मार्ग पर चलने में समर्थ होता है। गुरु का आत्मदान और शिष्य का आत्मसमर्पण, एक की कृपा व दूसरे की श्रद्धा के मेल से ही दीक्षा संपन्न होती है। इस अवसर पर महापौर चंद्रिका चंद्राकर भी उपस्थित थी।