मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को 10 दिन में देने है, 5 बहु विवादित मामलों पर फैसले, 17 नंवबर को होंगे सेवानिवृत

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगई 17 नवंबर को सेवा निवृत हो रहे है। 18 नवंबर को न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे नए मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत होंगे। इस प्रकार से सीजेआई रंजन गोगई के कार्यकाल के 10 कार्य दिवस शेष है। इन 10 दिनों मे उन्हे देश के धर्म, रक्षा, राजनीति के 5 बहु विवादित मामलों फैसला देना होगा। इनमें राम जन्मभूमि विवाद, सबरीमाला मंदिर, राफेल जेट प्लेन आदि मामले शामिल है।

नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई 17 नवंबर को सेवा निवृत हो रहे है। सेवानिवृति के लिए 10 कार्य दिवस ही शेष है। इन 10 दिनों बहुप्रतीक्षित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि के विवादित 2.77 एकड़ जमीन के स्वामित्व के लिए हिंदू और मुस्लिम पक्षों द्वारा दायर क्रॉस-अपीलों में उनके नेतृत्व वाली संविधान पीठ का फैसला होगा। इस विवाद के निपटारे के लिए शीर्ष अदालत की बेंच ने 40 दिवसीय सुनवाई की थी।
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की पूजा करने से रोके जाने के मामले पर भी फैसला आना है। चीफ जस्टिस गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की एक रिव्यू बेंच को अपने सितंबर 2018 के बहुमत के फैसले को या तो बरकरार रखने या अलग करने की उम्मीद है। फैसले से केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को मासिक धर्म की पूजा करने से रोक लगा दी गई थी। अदालत ने सदियों पुरानी धारणा के साथ हस्तक्षेप करने के अधिकार को चुनौती दी कि सबरीमाला देवता एक निशक्त ब्रह्मचारी हैं, जिनकी तपस्या मासिक धर्म की महिला उपासकों के प्रवेश से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश भी उस बेंच में शामिल थे, जिसने अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा द्वारा राफेल लड़ाकू विमान सौदे में 10 मई को दायर संयुक्त समीक्षा याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई के दौरान अदालत यह बता रही थी कि सीबीआई 36 जेट विमानों के सौदे के संबंध में पिछले साल अक्टूबर में याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रही थी। समीक्षा याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार ने 14 दिसंबर, 2018 को समझौते को बरकरार रखते हुए अदालत को गुमराह किया।
इसके साथ ही 10 मई को चीफ जस्टिस गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर फैसला सुनाया था। जिसमें बिना शर्त माफी मांगते हुए गलत तरीके से ‘चौकीदार चोर है का आरोप लगाया गया था। राहुल गांधी ने 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की प्रतिक्रिया में मीडिया को यह टिप्पणी दी थी कि वह राफेल समीक्षा याचिकाओं के रख-रखाव की अनुमति दे। वहीं मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अगुवाई वाली एक पीठ ने वित्त अधिनियम, 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दलीलों के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसे संसद ने धन विधेयक के रूप में पारित किया था।

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