एक्सयूवी वाहन खरीदने की चाह में निगम कर्मी ने गंवाए 2 लाख 61 हजार रु., कथित फौजी के खिलाफ पुलिस ने किया जुर्म दर्ज

फेसबुक पर वाहन बेचने के विज्ञापन से एक निगम कर्मचारी ठगी का शिकार हो गया। विक्रेता वाहन मालिक ने स्वयं की फौज में नियुक्ति होने का हवाला देते हुए किश्तों में 2 लाख 62 हजार रु. वसूल लिए। लंबे इंतजार के बाद भी न तो वाहन मिला और नही जमा रकम वापस। इस मामले की शिकायत के आधार पर पुलिस ने दफा 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला दुर्ग निमग के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ सुपरवाइजर से संबंधित है। सिद्धार्थ नगर निवासी सफाई सुपरवाइजर रिक्की समुंद्रे (28 वर्ष) ने फेसबुक पर मार्केट पैलेस साइट पर महिंद्रा एक्सयूवी 218 माडल लाल रंग की कार को बेचने का विज्ञापन देखा था। कार क्र. सीजी 04-एमएफ-9600 को खरीदने के लिए साइट पर दिए गए कार मालिक के नंबर पर संपर्क किया। मोबाइल धारक ने स्वयं का नाम सुमित पाठक बताया तथा रायपुर का निवासी बताया। उसने फौज में नियुक्त होने का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में उसका पोस्टिंग राजस्थान में है। सुमित ने अपना आई कार्ड, गाड़ी का आरसी बुक, गाड़ी जिसके नाम से है उसका आधार कार्ड व्हाटसअप के माध्यम से भेजा।
जिस पर विश्वास कर 19 मार्च को गाड़ी देखने कि मांग किया तो उसने बताया कि गाड़ी अभी राजस्थान में हैं। गाडी देखने या खरीदने के लिए होने वाले पार्सल कर उठाने की शर्त उसने रखी। इसके लिए 10 हजार रु. की रकम पेटीएम के माध्यम से भुगतान करने कहा। इस रकम को ट्रांसफर करने के बाद सुमति ने गाड़ी 24 घण्टे के अन्दर डिलिवरी हो जाने का आश्वासन दिया। दूसरे दिन 20 मार्च को गाड़ी का पार्सल आ जाने का फोन आने पर रिक्की ने गाड़ी को अपने पते पर डिलीवर करने की बात कही। जिसके बाद किसी न किसी चार्ज का हवाला देकर रकम जमा किए जाने की मांग की जाती रही, लेकिन गाड़ी की डिलीवरी नहीं की गई। अंत में बड़े अधिकारी द्वारा गाड़ी डिलिवरी देने से मना करने का हवाला देते हुए इस सौदे को 23 मार्च को रद्द कर दिया गया। साथ ही कहा गया कि पूर्व में किश्तों में जमा की गई रकम 7 दिन के अंदर वापस मिल जाएगी। समय बीतता रहा लेकिन जमा रकम वापस नहीं मिली। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस में की गई। पुलिस ने मामले को दफा 420 के तहत पंजीबद्ध कर विवेचना में ले लिया है।

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