राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)। कलेक्टर डोमन सिंह ने शारीरिक, मानसिक और दृष्ट दृष्टिबाधित बच्चों के बीच अपना समय गुजारा। कलेक्टर ने दिव्यांगजनों हेतु शिक्षण प्रशिक्षण एवं पुनर्वास केंद्र, शासकीय बौद्धिक मंदता वाले बालक-बालिका विशेष विद्यालय, आस्था मूकबधिर शाला एवं अभिलाषा दृष्टि व अस्थि बाधित केंद्र पहुंचकर यहां रह रहे दिव्यांग बच्चों के संग अपना पल गुजारा। इस दौरान कलेक्टर ने इन बच्चों की शारीरिक पीड़ा को संवेदनशीलता पूर्वक महसूस किया।
कलेक्टर ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के हुनर को पहचान कर उसे बढ़ावा देने की जरूरत है। कलेक्टर ने संस्था के संचालकों से कहा कि इन बच्चों को अच्छे परामर्श, उचित अवसर और प्लेटफार्म मिलने पर सामान्य बच्चों की भांति अपनी प्रतिभा साबित कर सकते हैं। कलेक्टर ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों की शारीरिक और मानसिक मनोदशा के आधार पर उन्हें शिक्षण, प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए मानवीय संवेदना पूर्वक कार्य करें। इस दौरान कलेक्टर ने बच्चों को अपने हाथों से टॉफी बांटकर उनका हौसला बढ़ाया। कलेक्टर को अपने बीच पाकर बच्चों में खुशी और चेहरे में मुस्कान देखने को मिला। कलेक्टर ने संस्थाओं के निरीक्षण के दौरान संस्था संचालकों से कहा कि संस्था के संचालन हेतु सभी आवश्यक सुविधा संसाधन और कार्यों के आधार पर स्टेटमेंट तैयार कर प्रस्तुत करें।
कलेक्टर ने दिव्यांगजनों हेतु शिक्षण प्रशिक्षण पुनर्वास केंद्र में रह रहे बौद्धिक मंदता वाले बालक-बालिकाओं के संबंध में कहा कि यह बच्चे सामान्य तौर पर समझने में अक्षम होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए संस्था संचालक इनके साथ पूरी संवेदना और मानवता के साथ व्यवहार, वार्तालाप और कार्य करें, साथ ही उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दें। इस संस्थान में कक्षा केजी-1 से लेकर आठवीं तक के 18 वर्ष के बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। इन बच्चों की देखरेख के लिए संस्था में अध्यापन हेतु शिक्षक, खाने-पीने के लिए सहायक और दैनिक दिनचर्या के लिए आया रखा गया है। बताया गया कि बच्चों का पूरा ध्यान रखा जाता है, यह बच्चे भले ही मानसिक रूप से कमजोर हैं। लेकिन यहां आने पर काफी अनुशासित हैं और अपने शिक्षकों द्वारा बताए गए बातों पर अमल करते हुए रहते हैं। कलेक्टर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सब संस्था के संचालकों और शिक्षकों के योगदान से संभव हुआ है। इसके लिए उन्होंने संस्था संचालकों को अपनी शुभकामनाएं दी और कहा कि आगे भी इसी तरह कार्य करते रहें। कलेक्टर ने आस्था मूक बधिर शाला में रह रहे बच्चों के बीच पहुंचकर उनका हाल-चाल पूछा। बच्चों ने अपनी इशारों और सांकेतिक माध्यम से कलेक्टर से संवाद किया और यहां आने पर कलेक्टर का अभिनंदन किया। संस्था संचालक ने बताया कि बच्चे शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से सही हैं। सुनने और बोलने में पूरी तरह से अक्षम हैं। इन बच्चों को विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षा दिया जाता है। बताया गया कि इन बच्चों को कई प्रकार के कौशल प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बच्चों को स्पीच थेरेपी, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, फोटोकॉपी, ब्यूटीपार्लर, सिलाई कढ़ाई, मेहंदी, चित्रकला, पेंटिंग पोट्रेट, रंगोली, योग, कराटे, शतरंज, बैडमिंटन, क्रिकेट आदि सिखाया जाता है। संचालक ने बताया कि संस्था का संचालन विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं और लोगों की अनुदान पर संचालित हो रहा है। संचालकों ने कुछ मांगे रखी जिस पर कलेक्टर ने एस्टीमेट बनाकर प्रस्तुत करने कहा है।
कलेक्टर ने अभिलाषा दृष्टिबाधित व अस्थिबाधित केंद्र में समय व्यतीत किया। दृष्टि बाधित बच्चों को यहां ब्रेल लिपि माध्यम से कक्षा एक से आठवीं तक की पढ़ाई कराई जा रही है। यहां अस्थि बाधित बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कलेक्टर ने इन संस्थाओं का निरीक्षण कर कहा कि वे आज यहां इन संस्थाओं में पहुंचकर अपने आपको काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं। इन बच्चों की आवश्यकता के लिए संसाधन सुविधा जुटाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही किया जाएगा। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ अमित कुमार, उप संचालक समाज कल्याण बीएल ठाकुर उपस्थित थे।