सिंचाई क्रांति : धमधा में दो साल के भीतर बढ़ा 70 फीसदी सिंचिंत रकबा, माइनर टैंक, डायवर्सन बने सहायक

धमधा (छत्तीसगढ़)। किसानों के लिए एक-एक बूंद को सहेजने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच को मूर्त रूप दिया जा रहा है। किसानों के लिए भीषण जल संकटग्रस्त क्षेत्र माने जाने वाले धमधा में पहली बार सैकड़ों हेक्टेयर खेतों में फैले खरीफ फसलों की प्यास बूझी। पिछले दो सालों में माइनर टैंक और डायवर्सन योजनाओं का जो जाल बिछा है उससे 1500 हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा सिंचिंत हुआ है। यह बढ़त 70 फीसदी है और अभूतपूर्व है। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने किसानों की जरूरतों के मुताबिक इन योजनाओं को आरंभ किया। दो वर्ष पहले 2100 हेक्टेयर सिंचिंत रकबा था और अब सिंचिंत रकबा 3600 हेक्टेयर हो गया है। किसानों के चेहरे खुश हैं लेकिन किसानों की मुस्कान रेखा और भी चौड़ी होने वाली है क्योंकि अभी 5000 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता के लिए विविध कार्य या तो आरंभ हो चुके हैं या प्रस्तावित हैं।

सिंचाई के रकबे में वृद्धि आमतौर पर धीमी गति से होती है क्योंकि इसके लिए वृहद स्तर पर योजनाएं लानी होती हैं और मौजूद संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण में काफी वक्त लगता है। शासन ने इस अहम कार्य की जरूरत को देखते हुए जल संसाधन विभाग के अमले को युद्धस्तर पर मौजूदा कार्यों को तेजी से करने एवं उपयोगी प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये। निर्देशों पर पुख्ता अमल हुआ और अब धमधा में सिंचाई की स्थिति में शानदार बदलाव आया है। जल संसाधन विभाग तांदुला संभाग के कार्यपालन अभियंता श्री सुरेश पांडे ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से भी मरम्मत का कार्य किया गया है। सबसे बड़ा काम हुआ है माइनर टैंक और डायवर्सन के माध्यम से धमधा की जीवनरेखा कहे जाने वाले तालाबों को भरने का। इनके निकट के खेतों में भरपूर पानी पहुँचा है और समीप के इलाकों में जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है।
आजाद चौक धमधा के निवासी और किसान संतोष कुमार साहू ने बताया कि जैसन सोचे नइ रेहेन, ओखर ले बढ़िया फसल आइस। जितना सोचा नहीं था उससे ज्यादा अच्छी फसल आई। तालाब लबालब हुए। नहर लाइनिंग का कार्य हुआ, इससे आसपास भूमिगत जलस्तर बढ़ा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसान के बेटा हवय, एखर सेती किसान के दुख-दर्द ला समझथे।
50 करोड़ की सिंचाई योजनाएं प्रस्तावित
लिफ्ट इरीगेशन जैसी योजनाओं के माध्यम से उन खेतों तक पानी पहुँचाये जाने की योजना है जहाँ पर परंपरागत तरीके से पानी पहुँचाना कठिन है। गनिया में 6 करोड़ रुपए की लागत से इसके लिए प्रोजेक्ट है इससे 600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। गनिया प्रोजेक्ट से किसानों की बेहतर खेती को लेकर उम्मीद कई गुना बढ़ गई है। आमनेर नदी में शिवकोकड़ी लिफ्ट इरीगेशन का 17 करोड़ रुपए का प्रपोजल भेजा गया है। सोनबरसा डायवर्सन 9 गांवों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आयेगा। इसे 22 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। अकोली जलाशय 3 गांवों के लिए है और इसकी लागत 6 करोड़ रुपए है। इसका टेंडर लग गया है।