विधि विद्यार्थियों को न्यायायिक अधिकारियों ने किया जागरूक, दी कानूनी की जानकारी

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विधि विद्यार्थियों को जागरूक किए जाने का अभियान प्रारंभ किया गया है। मंगलवार को सेठ रतन चंद सुराना विधि महाविद्यालय में विधि विद्यार्थियों के द्वितीय सेमेस्टर विद्यार्थियों को
कार्यशाला आयोजित कर कानून संबंधी जानकारी देने के साथ न्यायालयों का समय बचाने के साथ पक्षकारों के हित में कार्य करने के सुझाव दिए गए। इसके साथ ही विभिन्न कानूनी विषयों की जानकारी दी गई।

कार्यशाला में विधि विद्यार्थियों को न्यायायिक अधिकारियों ने कहा कि आप विधि विद्यार्थी है। आप सभी को कानून की जानकारी होनी चाहिए तभी आप कानून की जानकारी अन्य लोगों को सही रूप में दे सकेगें। वर्तमान में न्यायालयों में अत्यधिक मामले लंबित है जिनकी सुनवाई में समय लगने की संभावना बनी रहती है। न्यायालयीन प्रकरणों को त्वरित समय में निराकृत किये जाने हेतु वैकल्पिक समाधान उपलब कराये गये है, जिनमें लोक अदालत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लोक अदालत में पक्षकार अपने प्रकरणों को बिना किसी मतभेद के, डर दबाव के राजीनामा के आधार पर निराकृत कराता हैै। लोक अदालत में यदि प्रकरण निराकृत हो जाता है तो उसकी अपील अपीलीय न्यायालय में नही हो सकती है। लोक अदालत में प्रकरण खत्म होने से पक्षकारों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण एवं आपसी भाईचारा बना रहता हैं। इसमें किसी की जीत व किसी की हार नही होती है। लोक अदालत में प्रकरण रखे जाने के साथ साथ ’’ मध्यस्थता’’ के माध्यम से भी प्रकरण को समाप्त किये जाने का प्रयास किया जाता है। ’’मध्यस्थता’’ के माध्मय से प्रकरण के पक्षकारों से उनकी राय व सुझाव मांगा जाता है तथा एक प्रशिक्षित मध्यस्थ अधिवक्ता उनके मध्य मध्यस्थता का कार्य करता है। मध्यस्थता के माध्यम से पारिवारिक विवाद, चेक अनादरण से संबंधित विवाद में सफलता मिलने की संभावना अत्यधिक बनी रहती है। पारिवारिक विवाद मध्यस्थता के माध्यम से सुलह कराये जाने के न्यायालय में होने वाले व्यय से बचा जा सकता है। न्यायिक अधिकारी के द्वारा पास्को अधिनियम, निःशुल्क विधिक सहायता, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना से संबंधित जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि नशा व्यक्ति के साथ-साथ समाज पर भी बुरा प्रभाव डालता है । मोटर दुर्घटना के अधिकांशतः मामले नशे के हालत में गाडी चलाने के ही कारण होती है। समाज में युवा वर्ग वर्तमान परिस्थिति में नशे की ओर आकर्षित होते हैं। कई जगहों पर अनुचित रूप से हुक्का बार भी चलाये जाते हैं, जिसमें युवा वर्ग की भागीदारी ज्यादा रहती है, जो उनके भविष्य को अंधकार में डालती है तथा समाज में उसका बुरा प्रभाव पडता है। परिवार में नशा करने वाले व्यक्ति के परिवार टूटने लगते हैं तथा बिखर जाते हैं। इस आयोजित जागरूकता शिविर में न्यायायिक अधिकारी रूचि मिश्रा, आंकाक्षा सक्सेना, प्रशांत देवागंन उपस्थित रहे। साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव राहूल शर्मा भी उपस्थित रहे।