महाशिवरात्रि पर्व, बघेरा के आनंद सरोवर में ब्रह्माकुमारी ने किया धार्मिक आयोजन

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्रीय विश्वविद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में महाशिवरात्रि का पर्व अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज दुर्ग की संचालिका ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि हम सभी मनुष्य भले ही भिन्न-भिन्न धर्मों व जाति में बंटे हुए हैं, किन्तु सर्व मनुष्यों के भीतर अंर्तनिहित शक्ति चैतन्य आत्मा विराजमान है। जिसके माध्यम से ही यह शरीर अपना कार्य कर रहा हैै। उस चैतन्य ऊर्जा को भिन्न-भिन्न भाषाओं में कोई आत्मा, रूह व सोल इत्यादि कहते हैं। समस्त विश्व के सर्व मनुष्यों में चैतन्य आत्मा जो हैं उन सर्व आत्माओं का पिता एक ही निराकार परमपिता परमात्मा शिव है।

उन्होंने कहा कि कलियुग के अंधकार के समय सभी मनुष्य, आत्मायें अपने आत्मिक स्वरूप को भूल स्वयं को देह समझ भिन्न-भिन्न धर्मों में अपने को बांटकर व अपने पिता को भूल बुराईयों के वशीभूत हो दु:ख व अशांति का अनुभव करती है। इस अज्ञान अंधकार रूपी रात्रि में निराकार परमपिता परमात्मा शिव एक महान कार्य करते हैं, सभी मनुष्यों को यह ज्ञान देते हैं कि आप सभी देह से भिन्न चैतन्य आत्मायें हैं व सब एक पिता की सन्तान हैं। परमात्मा दिव्य ज्ञान और राजयोग की शिक्षा द्वारा नवीन सुख-शांतिमय सृष्टि की स्थापना करते हैं, जिसकी यादगार में यह महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
उन्होंने आगे तीन बेलपत्र शिव में चढ़ाने का अर्थ स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि परमात्मा शिव स्वयं निराकार है। जिनका स्वयं देह नहीं है वे सृष्टि में तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश के द्वारा सृष्टि का कार्य कराते हैं। भगवान शिव में अक, धतुरा रूपी जहरीला फल अर्पित करते हैं उसका रहस्य है कि अपने जीवन में व्याप्त विकार काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार व बुराईयों को परमात्मा में अर्पण करना जिससे जीवन सुखमय बन जायेगा। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मानसी गुलाटी उपस्थित थीं। जिन्होंने सभी को महाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज सेवाकेन्द्र के आसपास ग्रामीण व शहरी अंचल से अनेक भाई बहनें उपस्थित थे।

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