10 लाख रुपए का चेक हुआ अनादरित, न्यायालय ने जारीकर्ता को 13 लाख 50 हजार रुपए के अर्थदंड से किया दंडि़त

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। बैंक में पर्याप्त राशि न होने के आभाव में चेक बाउंस होने के एक मामले में अदालत द्वारा चेक जारीकर्ता के खिलाफ आदेश पारित किया है। अदालत ने जारीकर्ता को न्यायालय उठने तक की सजा के साथ प्रतिकर राशि के रुप में 13 लाख 50 हजार रु. परिवादी को अदा करने का आदेश दिया है। प्रतिकर की राशि एक माह में अदा नहीं किए जाने पर आरोपी को 2 माह का साधारण कारावास भोगना होगा। परिवादी की ओर से अधिक्ता तारेन्द्र जैन ने पैरवी की थी।
मामला भिलाई दंक्षिण गंगोत्री में संचालित राठी आटो डील से संबंधित है। आटो डील के संचालक अनिल राठी (52 वर्ष) द्वारा आर्यनगर निवासी निवासी राजेन्द्र पाटनी को कम कीमत पर कार दिलाने का आश्वासन दिया था। इसके लिए अनिल ने 10 लाख रु. की नगदी रकम राजेन्द्र से मई 2008 में हासिल की थी। आटोडील में कार आने के बाद भी राजेन्द्र को कार उपलब्ध नहीं कराई गई। जिस पर जमा की रकम को वापस किए जाने की मांग की गई। इसके लिए अनिल राठी ने राजेन्द्र पाटनी को एक्सिस बैंक की भिलाई शाखा का 10 लाख रु. का चेक 24 जुलाई 2008 को प्रदान किया था। जिसे बैंक में भुगतान के लिए लगाए जाने पर रकम के आभाव में चेक बाउंस हो गया। कई बार तकादा करने व नोटिस भेजे जाने के बाद भी रकम वापस नहीं मिलने पर राजेन्द्र पाटनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद न्यायालय में दाखिल किया गया था। इस परिवाद पर प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्टे्रट सचिन पाल टोप्पों की अदालत में विचारण पश्चात फैसला दिया गया।
जेएमएफसी सचिन टोप्पों ने अपने फैसले में आरोपी अनिल राठी द्वारा किए गए इस कृत्य को पराक्रम लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत दोषी माना। न्यायायिक दंडाधिकारी ने आरोपी को न्यायालय उठने तक की सजा और प्रतिकर राशि के रुप में 13 लाख 50 हजार रु. का भुगतान परिवादी को करने का आदेश दिया है। प्रतिकर राशि का भुगतान एक माह की अवधि में नहीं किए जाने पर आरोपी को दो माह का साधारण कारावास भोगना होगा।