दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिला ही ऐसा जिला है जहां पर बालकों के संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) के प्रकरणों के त्वरित गति से निराकरण के लिए चार विशेष न्यायालय का गठन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा किया गया है। दुर्ग में पाक्सो के अधिक मामले है।
उन्होंने बताया कि पाक्सो अधिनियम के अंतर्गत पुलिस विभाग के जो पुलिस अधिकारी विवेचना करते है तथा जो मेडिकल आफिसर पीडिता का मुलाहिजा अथवा डाक्टरी परीक्षण करते है उन्हें विशेष रूप से शामिल किया गया है। इस कार्यशाला में रिर्सोस पर्सन के रूप पाक्सो अधिनियम के तहत् स्थापित विशेष न्यायालय के न्यायाधीशगण शुभ्रा पचोरी, मधु तिवारी, डाॅ. ममता भोजवानी को चयनित किया गया। आज की कार्यशाला का मुख्य उद्वेश्य पाक्सो अधिनियम के तहत् प्रस्तुत किये जाने वाले चालान/अभियोग पत्र में आ रही लेकूना को दर्शित करेगी। ऐसे मामलों में सर्वप्रथम प्रार्थिया, पीडिता का उम्र निर्धारण होता है। ऐसे प्रकरणों के विवेचना अधिकारी एफआईआर को विलंब से दर्ज करने के कारण विवेचना के दौरान धारा-157 का पालन नही होता हैै। विवेचना अधिकारियों के द्वारा संबंधित प्रकरण में की गई कमियों का लाभ आरोपी को मिल जाता है। इस कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्वेश्य पुलिस अधिकारी एवं चिकित्सक को पाक्सो अधिनियम के तहत् छोटी-छोटी जानकारी तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा नवीन प्रतिपादित न्याय सिद्वांत की जानकारी दी जा सके। कार्यशाला के माध्मय से पाक्सो अधिनियम के तहत् दर्ज प्रकरण के विवेचना अधिकारी और चिकित्सका अधिकारी कमियों को जान सकेगें और भविष्य में इन प्रकरणों में सुधार ला सकेगें।
कार्यशाला में उपस्थित न्यायाधीश शुभ्रा पचोरी ने पाक्सो अधिनियम के तहत् पीडिता, अभियोक्त्री के आयु के संबंध में प्रकरण में प्रस्तुत किये जाने वाले दस्तावेज जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, कोटवारी पंजी, डाक्टर प्रमाण पत्र के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इस व्याख्यान में पुलिस अधिकारियों के द्वारा संबंधित न्यायाधीश से आयु के संबंध में प्रस्तुत किये जाने वाले दस्तावेज की जानकारी ली तथा अपने मन में उठ रहे सवालों के जवाब पाये।
न्यायाधीश मधु तिवारी ने पाक्सो अधिनियम के तहत् पीडिता/अभियोक्त्री एवं पाक्सो के प्रकरण में दर्ज किये जाने वाले न्यायालयीन कथनों के संबंध में वृहद रूप से बताया। उन्होंने बताया कि किन तथ्यों को प्रकरण में अभियोजन को प्रमाणित करना होता है तथा किन तथ्यों को आरोपी को प्रमाणित करना होता है, इन तथ्यों की जानकारी विस्तार पूर्वक दी।
न्यायाधीश डाॅ. ममता भोजवानी ने पाक्सो अधिनियम के तहत् पीडिता/अभियोक्त्री एवं पाक्सो प्रकरण के आरोपी के किये जाने वाले मेडिकल, चिकित्सा संबंधी अपनाये जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया तथा आयु के निर्धारण में पीडिता के लिए चिकित्सकीय प्रमाणिकता बताई गई। इन प्रकरणों में रासायनिक परीक्षा एवं डी.एन.ए. परीक्षण के संबंध में पुलिस अधिकारियों एवं चिकित्सकों को जानकारी दी।
कार्यशाला में उद्घाटन संबोधन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव राहूल शर्मा द्वारा किया गया। मंच का संचालन न्यायिक मजिस्ट्रेट रूचि मिश्र द्वारा किया गया। कार्यशाला में चिकित्सा अधिकारी, पुलिस अधिकारी व बाल कल्याण समिति के सदस्य उपस्थित रहे।