राज्य शासन और जिला प्रशासन द्वारा लागू लॉकडाउन अव्यवस्थित और अदूरदर्शी, सभी परेशान : विजय बघेल

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राज्य शासन और जिला प्रशासन द्वारा दुर्ग जिले में 23 जुलाई से लागू लॉक डाउन के लिए बनाई गई गाइडलाइन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसलिए लॉकडाउन का कोई विरोध नहीं है, लेकिन लॉकडाउन लागू करने में जिस प्रकार की गाइडलाइन जिला प्रशासन द्वारा तय की गई वह बेहद अव्यवहारिक, अव्यवस्थित और दूरदर्शिताविहीन रही। जिसके कारण आम जनता के साथ साथ लघु एवं मध्यम व्यवसायियों को अनावश्यक रूप से तकलीफ सहनी पड़ रही है और उनके व्यापार का भी नुकसान हो रहा है।
दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि 23 जुलाई से लागू किए गए लॉकडाउन में प्रतिदिन सुबह 7:00 से 12:00 के बीच केवल दूध, फल और सब्जी दुकानों को खोले जाने के निर्देश जारी किए गए और बाद में 29-30 जुलाई को प्रातः 6:00 से 10:00 के बीच किराना दुकानों को खोले जाने की नई गाइडलाइन जारी की गई जिसे 31 जुलाई और 1 अगस्त के लिए फिर से आगे बढ़ाया गया। इसी प्रकार मिठाई दुकानों को खोले जाने हेतु अचानक 2 अगस्त दोपहर को गाइडलाइन निकाली गई। जिला प्रशासन को इतनी भी समझ नहीं है कि 3 अगस्त को यदि रक्षाबंधन का त्यौहार है उसके ठीक 1 दिन पहले मिठाई दुकानों को खोले जाने हेतु यदि गाइडलाइन निकाली जाती है तो एक सप्ताह से दुकान बंद रखने वाला एक मिठाई व्यापारी इतने अल्प समय में कैसे सामग्री, हलवाई और मिठाई बनाने वाले कारीगर इत्यादि जुटाएगा और किस प्रकार मिठाई तैयार कर सकेगा। जिला प्रशासन द्वारा यदि परिपक्व तरीके से सोच कर निर्णय लिया जाता तो रक्षाबंधन त्यौहार के आधार पर मिठाई दुकानें 3 अगस्त को लिए खोले जाने का निर्देश 29 जुलाई को लॉकडाउन सीमा बढ़ाते समय ही निकाला जा सकता था।
दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि राज्य और जिला प्रशासन द्वारा बार-बार नई नई गाइडलाइन निकाले जाने से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने बिना कोई व्यवहारिक सोच के अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय लेते हुए लॉकडाउन को लागू किया और बार-बार गाइडलाइन को बदलते रहे यदि जिला प्रशासन ने दूरदर्शिता पूर्ण तरीके से सोचते हुए लॉकडाउन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया होता तो किसी भी वर्ग को कोई परेशानी नहीं होती। जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल स्टोर शाम 5:00 बजे के बाद बंद कराया जाना भी बेहद असंवेदनशील और अमानवीय निर्णय है क्योंकि बीमारी और शारीरिक तकलीफ समय देखकर नहीं आती और अधिकतर डॉक्टर भी शाम के समय ही मरीजों को देखते हैं ऐसे में शाम 5:00 बजे के बाद डॉक्टर से संपर्क करने वाले व्यक्तियों को दवाइयां ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है जबकि प्रशासन को चाहिए था कि दुर्ग भिलाई में कम से कम दो-दो मेडिकल स्टोर को इमरजेंसी के तौर पर 24 घंटे खुला रखने की अनुमति देनी चाहिए थी, 23 जुलाई से लागू लॉकडाउन के दौरान नवजात शिशुओं एवं बुजुर्गों को शाम 5:00 बजे के बाद बीमार होने की हालत में बेहद तकलीफ झेलनी पड़ी है जिसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार है। शाम या रात के समय यदि किसी मरीज को इमरजेंसी में रायपुर के डॉक्टर या हॉस्पिटल में निजी वाहन से ले जाना हो तो 3:00 बजे के बाद पेट्रोल पंप बंद कर दिए जाने के कारण पेट्रोल की उपलब्धता नहीं होने से मरीज का जीवन संकट में आने की नौबत आ रही है।
जिला प्रशासन ने 23 जुलाई से लागू लॉकडाउन के लिए ना तो व्यापारिक संगठनों से कोई चर्चा की और ना ही प्रमुख जनप्रतिनिधियों से कोई चर्चा की। जिला प्रशासन ने धरातल पर आने वाली व्यवहारिक परेशानियों को समझे बिना बंद कमरे में बैठकर ऐसी अव्यावहारिक और अदूरदर्शितापूर्ण लॉकडाउन की गाइडलाइन बनायी जिससे आम जनता और व्यापारियों में हाहाकार में मच गया है। व्यापारी वर्ग बेहद सहयोगात्मक होकर लॉकडाउन में प्रशासन के साथ है लेकिन प्रशासन द्वारा एक तरफा गाइडलाइन तैयार करके अपना निर्णय थोपा जा रहा है। यदि जिला प्रशासन द्वारा 23 जुलाई से पूर्व व्यापारियों एवं जनप्रतिनिधियों से विस्तृत चर्चा की जाती तो उचित समाधान के साथ लॉकडाउन लगता और किसी भी वर्ग को कोई तकलीफ नहीं होती लेकिन जिला प्रशासन केवल कांग्रेस पार्टी के इकलौते दुर्ग विधायक को ही सर्वोपरि मानकर गाइडलाइन बनाता है ताकि बाद में इन्हीं विधायक के कहने पर गाइडलाइन में छूट देकर इन्हें जनता की वाहवाही लूटने का श्रेय दिला सके। जिला प्रशासन द्वारा 23 जुलाई से लागू लॉकडाउन में बार-बार नई नई गाइडलाइन जारी करके जनता और व्यापारियों को दिग्भ्रमित कर रहा है।
सांसद विजय बघेल ने कहा कि 23 जुलाई से लागू लॉक डाउन में एक तरफ सारे व्यापार बंद करा दिए गए वहीं दूसरी तरफ सरकार शर्मनाक कृत्य करते हुए पूरे जिले के ग्रामीण अंचलों में सवेरे से रात तक शराब बेच रही है। जिसके कारण शहरी क्षेत्र के शराबी लोग लॉकडाउन तोड़कर ग्रामीण अंचलों में हजारों की संख्या में पहुंचकर कोरोना वायरस के वाहक बन रहे हैं। पाटन की जामगांव एम की शराब दुकान इसका सबसे बड़ा प्रमाण है जहां सीमावर्ती रायपुर जिले के 5000 से भी ज्यादा शराबी प्रतिदिन लॉकडाउन तोड़कर पहुंच रहे हैं और ग्रामीणों के बीच कोरोनावायरस के वाहक बन रहे हैं। केंद्र सरकार ने आज दिनांक तक विदेश विमान सेवा और ट्रेन सेवा को बंद रखकर अरबों रुपए का नुकसान उठाया लेकिन जनता की जान के साथ खिलवाड़ करना उचित नहीं समझा जबकि प्रदेश सरकार जमकर बेशर्मी दिखाते हुए कोरोना महामारी के भयावह दौर में शराब की कमाई करके पूरे प्रदेश को संक्रमण में लाने का काम कर रही है।
सांसद विजय बघेल ने प्रदेश सरकार की लापरवाही को भी उजागर करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने जब 25 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन लगाया था उसी समय सभी प्रदेश सरकारों से अपेक्षा की थी कि जल्द से जल्द कोरोनावायरस के उपचार संबंधी मेडिकल सुविधा तंत्र विकसित कर ले लेकिन प्रदेश सरकार इस बीच सोई रही और जल्दबाजी में छत्तीसगढ़ को कोरोना मुक्त प्रदेश घोषित कर 13 मंत्रियों की फोटो छपा कर हीरो बनने का झूठा प्रयास किया। प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण आज छत्तीसगढ़ में कोरोना नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है। मोदी सरकार द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह में दिए गए निर्देश को नहीं मानते हुए केवल केंद्र सरकार के एम्स हॉस्पिटल के भरोसे बैठी रही, केंद्र के निर्देशों के बावजूद प्रदेश सरकार आज तक कोरोना उपचार के मेडिकल तंत्र का ठीक से विकास नहीं कर सकी है।
विजय बघेल ने कहा कि लॉकडाउन के संबंध में उनका यही विचार है कि लॉकडाउन अवश्य लगे लेकिन उसे व्यवस्थित रूप से सभी व्यावहारिक पहलुओं को ध्यान में रखकर लागू किया जाए और इसके लिए व्यापारिक संगठनों और प्रमुख जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित कर सबकी सलाह और अभिमत लेते हुए लॉकडाउन लागू किया जाए। दुर्ग भिलाई शहर में समय सीमा के साथ विस्तृत रूपरेखा तय करते हुए व्यापारिक संगठनों की सहमति लेकर ही लॉकडाउन लगे।

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