वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के श्रीराम को नेपाली बताए जाने के विरोध में वाराणसी में नेपाली युवक का मुंडन किए जाने के मामले में नया खुलासा हुआ है। पुलिस जांच में सामने आया है कि जिस युवक का मुंडन कर विडियों वायरल किया गया था वह नेपाली नहीं है। वह वाराणसी का ही निवासी है। एक दक्षिणपंथी संगठन ने युवक ने इस कृत्य को अंजाम दिया था। युवक को मुंडन कराने और नारेबाजी करने के लिए 1000 रूपए दिए गए थे।
वाराणसी पुलिस ने मामले की जांच करने के बाद बताया कि घटना में जिस व्यक्ति का मुंडन करने का वीडियो बनाया गया है वह नेपाल का नहीं बल्कि वाराणसी का ही है और वह भेलूपुर क्षेत्र के जल संस्थान में सरकारी क्वार्टर में रहता है। उसके माता-पिता दोनों जल संस्थान वाराणसी में सरकारी नौकरी करते थे। मां की मृत्यु के पश्चात उनके स्थान पर भाई को नौकरी प्राप्त हुई।
पुलिस के अनुसार 16 जुलाई को आरोपी अरुण पाठक के साथी राजेश राजभर महगू तथा जय गणेश नाई युवक से उसके घर पर जाकर मिले। उन्होंने उससे कहा कि एक कार्यक्रम में घाट पर चलकर बाल बनवाना है। इसके लिए 1000 रुपये भी मिलेंगे। इस पर वह उनके साथ घाट पर चला गया और मुंडन करा लिया। अरुण पाठक, राजेश राजभर महगू तथा जय गणेश को वह पहले से जानता है। मुंडन के बाद राजेश राजभर महगू ने उसको 1000 रुपये भी दिए।
आरोपियों ने उससे जय श्री राम के नारे लगवाए थे। युवक से नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ भी नारे लगवाए गए। इस संगठन के नेता ने इस घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर साझा भी किया था।
इंटरनेट पर वीडियो सामने आने के बाद नेपाल के दूत नीलांबर आचार्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की। योगी ने उनसे अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया। पुलिस ने इस मामले में अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से घटना के सम्बंध में गहन पूछताछ की जा रही है। आरोपी अरुण पाठक की तलाश की जा रही है।