लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। अयोध्या में रामलला के मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीन या पांच अगस्त को भूमिपूजन के लिए आमंत्रित किया गया है। यह भी तय हुआ है कि अब मंदिर पहले से काफी बड़ा बनाया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को अयोध्या में राम जन्मभूमितीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद मीडिया को दी गई।
अयोध्या में रामलला का मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की मीटिंग करीब ढाई घंटे चली। अभी मंदिर परिसर में जमीन को बराबर करने और पैमाइश का काम चल रहा है। लेकिन निर्माण का काम प्रधानमंत्री के भूमिपूजन के बाद ही शुरू होगा।
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्रधानमंत्री से निवेदन कर दिया गया है। स्वयं स्वामी नृत्यगोपाल दास ने प्रधानमंत्री से निवेदन किया है। तिथियों का सुझाव भी दिया है। लेकिन अंतिम निर्णय तो प्रधानमंत्री कार्यालय को करना है।
रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में अयोध्या में कुछ सदस्य और कुछ विशेष आमंत्रित लोग शामिल हुए। इनमें ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राया, गोविंद देव गिरी, स्वामी परमानंद, कामेश्वर चौपाल, डॉ अनिल मिश्र, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास, एडीशनल चीफ सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी, अयोध्या के डीएम अनुज झा, संघ सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल दास, राम जन्मभूमि निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र, राम जन्मभूमि परिसर के सुरक्षा सलाहकार केके शर्मा और कमल नयन दस शामिल थे। जगदगुरु वासुदेव आनंद सरस्वती, स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ महाराज और के पारासरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शामिल हुए।
57000 वर्गफीट पर होगा निर्माण
ट्रस्ट की बैठक में विशेषज्ञों की राय से मंदिर को और बड़ा बनाने का भी फैसला हुआ। पहले मंदिर में तीन शिखर बनने थे, अब पांच शिखर बनेंगे। पहले मंदिर निर्माण का एरिया 47000 वर्गफीट था, अब 57000 वर्गफीट होगा। पहले मंदिर की ऊंचाई 148 फीट थी, अब ऊंचाई 161 फीट होगी। मंदिर परिसर के चारों कोनों पर सीता जी, लक्ष्मण जी, भरत जी और गणेश जी के चार मंदिर बनाने की भी राय आई है। मंदिर का एरिया 67 एकड़ से ज्यादा बढ़ाने की भी कुछ लोगों की राय है।