रायपुर, 3 मई 2025 – छत्तीसगढ़ की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली और वनौषधियों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के नव नियुक्त अध्यक्ष श्री विकास मरकाम ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में आयोजित भव्य समारोह में अपना कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने मरकाम को शुभकामनाएं देते हुए बोर्ड की भूमिका को और व्यापक बनाने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने किया औषधीय खेती को बढ़ावा देने का आह्वान
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि “बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में औषधीय पौधों की अपार संभावनाएं हैं। हमें इन संसाधनों का वैज्ञानिक और संगठित उपयोग करते हुए आमदनी और स्वास्थ्य, दोनों के क्षेत्र में क्रांति लानी है।” उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के बैगा, गुनिया और परंपरागत वैद्य इस धरोहर के संरक्षक हैं और इनकी विद्या को संजोकर आगे बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में इस बोर्ड की स्थापना हुई थी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अबूझमाड़ के वैद्य हेमचंद मांझी को पद्मश्री से नवाजा जाना, इस दिशा में एक बड़ा सम्मान है।
वैद्यों के ज्ञान का होगा वैज्ञानिक संकलन
आदिम जाति विकास मंत्री श्री राम विचार नेताम ने सुझाव दिया कि परंपरागत वैद्यों के अनुभव और ज्ञान का डाटाबेस तैयार कर उसका उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ भारत का “ऑक्सीजन जोन” है और वन संपदा के संरक्षण की जिम्मेदारी बोर्ड की है। उन्होंने बताया कि सरकार 5500 रुपये प्रति बोरा की दर से तेंदूपत्ता और अन्य 67 वन उत्पादों की खरीदी कर रही है, जिससे आदिवासी समुदायों को सीधा लाभ मिल रहा है।
समारोह में रही बड़ी उपस्थिति
समारोह को पूर्व सांसद श्री समीर उरांव और नव नियुक्त अध्यक्ष श्री विकास मरकाम ने भी संबोधित किया। इस मौके पर रायपुर लोकसभा सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, राज्यसभा सांसद श्री देवेंद्र प्रताप सिंह, विधायक राजेश मूणत, गजेंद्र यादव, नीलकंठ टेकाम सहित कई गणमान्य अतिथि और बड़ी संख्या में वैद्य, आयुर्वेदाचार्य और नागरिक उपस्थित थे।
