नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा तीन-भाषा नीति को लेकर की गई आलोचना पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने योगी के बयान को विडंबना नहीं, बल्कि “राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी का सबसे काला रूप” करार दिया है।
तमिलनाडु हिंदी का विरोध नहीं, थोपने के खिलाफ है – स्टालिन
स्टालिन ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु किसी भाषा के खिलाफ नहीं है, बल्कि भाषा थोपने और जबरदस्ती की मानसिकता के खिलाफ खड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी तमिलनाडु के रुख से घबराई हुई है और इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है।

योगी आदित्यनाथ ने DMK पर लगाया वोट बैंक की राजनीति का आरोप
एक इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने स्टालिन पर हमला बोलते हुए कहा कि DMK सरकार क्षेत्र और भाषा के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उसे अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है।
योगी ने सवाल उठाया कि तमिलनाडु हिंदी का विरोध क्यों कर रहा है, जबकि हर भारतीय को सभी भाषाएं सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा, “देश को भाषा या क्षेत्र के आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए। तमिल भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और यह संस्कृत जितनी ही प्राचीन है। हर भारतीय को तमिल भाषा का सम्मान है। फिर हिंदी से इतनी नफरत क्यों?”
तीन-भाषा नीति और जनसंख्या नियंत्रण पर DMK का विरोध
तमिलनाडु सरकार केंद्र की नई शिक्षा नीति (NEP) में तीन-भाषा फार्मूले का विरोध कर रही है। DMK का आरोप है कि केंद्र हिंदी को दक्षिणी राज्यों पर थोपने की कोशिश कर रहा है।
इसके अलावा, जनसंख्या आधारित सीटों के पुनर्वितरण (Delimitation) को लेकर भी केंद्र और तमिलनाडु सरकार आमने-सामने हैं। स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने परिवार नियोजन को प्रभावी रूप से लागू किया है, जिससे इन राज्यों की जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित रही है। लेकिन 2026 के बाद यदि जनसंख्या के आधार पर संसद में सीटों का पुनर्वितरण किया जाता है, तो दक्षिणी राज्यों की संख्या कम हो सकती है। इससे उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमजोर होगा, जबकि वे देश के GDP में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
स्टालिन का योगी पर करारा जवाब
योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए स्टालिन ने एक्स (Twitter) पर लिखा, “तमिलनाडु का रुख अब पूरे देश में गूंज रहा है और बीजेपी इससे स्पष्ट रूप से घबराई हुई है। और अब योगी आदित्यनाथ हमें घृणा पर भाषण देना चाहते हैं? हमें बख्शिए। यह विडंबना नहीं, बल्कि राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी का सबसे अंधकारमय रूप है।”
स्टालिन ने आगे कहा, “हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते, बल्कि भाषा थोपने और जबरदस्ती की राजनीति के खिलाफ हैं। यह दंगा-के-लिए-वोट की राजनीति नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय के लिए लड़ाई है।”
BJP vs DMK: भाषा और राजनीति का टकराव जारी
यह विवाद एक बार फिर दक्षिण और उत्तर भारत की भाषा और राजनीति पर टकराव को उजागर कर रहा है। जहां बीजेपी इसे राष्ट्रीय एकता का मुद्दा बना रही है, वहीं DMK इसे संवैधानिक अधिकार और क्षेत्रीय पहचान से जोड़ रही है।
