वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा पट्टी को अपने नियंत्रण में लेने और वहां फिलीस्तीनियों को पुनर्वासित करने के प्रस्ताव को कई देशों ने सख्ती से खारिज कर दिया है। ट्रंप ने यह बयान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक व्हाइट हाउस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने गाजा को अपने नियंत्रण में लेकर वहां पुनर्निर्माण और रोजगार सृजन की बात कही थी।
दुनिया भर से विरोध
ब्रिटेन, जर्मनी, ब्राजील और फ्रांस सहित कई देशों ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया।

ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, “फिलीस्तीनियों को अपने मातृभूमि में रहने और समृद्ध होने का अधिकार है। गाजा और वेस्ट बैंक में उनका हक है, और हमें उसी दिशा में काम करना चाहिए।”
जर्मनी की विदेश मंत्री एन्नालेना बेयरबॉक ने स्पष्ट रूप से कहा, “गाजा फिलीस्तीनियों का है और वहां की नागरिक आबादी को निष्कासित नहीं किया जाना चाहिए। गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम फिलीस्तीन के लिए हैं और वे भविष्य के फिलीस्तीनी राज्य का आधार हैं।”
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने ट्रंप की योजना को “अवास्तविक और अमानवीय” बताया। उन्होंने कहा, “फिलीस्तीनियों को ही गाजा की देखरेख करनी चाहिए। किसी अन्य देश द्वारा इसे अपने नियंत्रण में लेने का प्रस्ताव तर्कहीन है।”
फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्टोफ लेमोइन ने भी इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “फिलीस्तीनी आबादी को जबरन हटाना अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन होगा और यह दो-राज्य समाधान में बड़ी बाधा बन सकता है।”
वैश्विक असहमति का संकेत
ट्रंप की इस विवादास्पद योजना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहमति को जन्म दिया है। यूरोपीय और अरब देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि गाजा पट्टी फिलीस्तीनियों की मातृभूमि है और उन्हें जबरन वहां से हटाना न केवल कानून का उल्लंघन होगा, बल्कि क्षेत्रीय अस्थिरता को भी बढ़ावा देगा।
