छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में फर्जी डॉक्टर तैयार करने का बड़ा गोरखधंधा सामने आया है। महज 20 से 30 लाख रुपये में फर्जी डॉक्टर बनने का खेल चल रहा है। दिल्ली से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में यह सिंडीकेट सक्रिय है।
फर्जी डिग्रियों का जाल
पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों की यूनिवर्सिटियों की फर्जी डिग्रियों से मेडिकल छात्रों का छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ आयुर्वेदिक काउंसिल ने इस तरह के कई रजिस्ट्रेशन रद्द किए हैं। अब इस पूरे मामले की जांच मेडिकल काउंसिल भी करेगी।
कैसे चल रहा है यह खेल?
इस फर्जीवाड़े में करियर काउंसलिंग और कोचिंग सेंटरों की बड़ी भूमिका है। काउंसलर युवाओं को घरों तक जाकर बरगलाते हैं और वहीं पर फर्जी परीक्षाएं कराते हैं। इसके बाद रैकेट के जरिए घर बैठे डिग्रियां पहुंचाई जाती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह खेल केवल प्राइवेट यूनिवर्सिटियों तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी यूनिवर्सिटियों में भी चल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दी कार्रवाई की जानकारी
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने स्वीकार किया कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। उन्होंने कहा, “जैसे ही यह मामला सामने आया, जांच के आदेश दे दिए गए। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
समाज और चिकित्सा के लिए खतरा
मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों और युवाओं ने इस मामले को गंभीर खतरा बताया है। उनका कहना है कि फर्जी डॉक्टरों की वजह से न केवल चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि यह समाज के लिए भी बड़ा खतरा बन रहा है।