अक्टूबर महीने में छत्तीसगढ़ ने भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक महंगाई दर दर्ज की है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, छत्तीसगढ़ की महंगाई दर 8.8% रही, जबकि बिहार 7.8% के साथ दूसरे स्थान पर रहा। ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी महंगाई दर 7% से अधिक रही।
खाद्य पदार्थों ने बढ़ाई महंगाई
खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें देशभर में महंगाई का प्रमुख कारण बनी हैं। सब्जियां, अनाज, फल, तेल और वसा जैसे उत्पादों की कीमतों में उछाल ने खुदरा महंगाई को 6.2% तक पहुंचा दिया, जो पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे राज्यों में महंगाई दर 6% से अधिक रही। दिल्ली में महंगाई दर सबसे कम 4% रही, जबकि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी तुलनात्मक रूप से कम दरें दर्ज की गईं।
आरबीआई की चिंता और बहस
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6% के ऊपरी सहनशीलता स्तर को पार करने वाली महंगाई ने ब्याज दरों पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ा दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने चेतावनी दी है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें महंगाई के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, और ब्याज दर में कटौती को लेकर जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए।
विभिन्न दृष्टिकोण
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति को “गलत सिद्धांत” करार देते हुए ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यों में महंगाई दर में अंतर आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों और अन्य स्थानीय कारकों के कारण हो सकता है।
जनजीवन पर प्रभाव
महंगाई के चलते आम लोगों की दैनिक जरूरतों पर गहरा असर पड़ा है। विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच इस मुद्दे पर आने वाले महीनों में और बहस होने की संभावना है।