भारत के आदिवासी समाज की संस्कृति, इतिहास और वीरता का प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने आदिवासियों की स्वतंत्रता और पहचान के लिए संघर्ष किया। बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में झारखंड के उलिहातु में हुआ था और उनके नेतृत्व में आदिवासियों ने अपने अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए ‘उलगुलान’ आंदोलन चलाया। उनकी इसी समर्पण भावना को आदिवासी समाज “धरती आबा” के नाम से सम्मानित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आदिवासी विकास को बल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती पर कई विकास योजनाओं की शुरुआत की है, जिनमें प्रधानमंत्री जनजाति गौरव योजना और प्रधानमंत्री PVTG विकास मिशन शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। साथ ही, प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” घोषित कर आदिवासी नायकों के योगदान को मान्यता दी है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास पर सरकार की योजनाएं
छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी क्षेत्रों में व्यापक विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जहां राज्य की लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी है। विशेष योजनाओं जैसे “नियाद नेल्ला नार योजना” के तहत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के 96 गांवों में आवास, स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। “शहीद वीर नारायण सिंह विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना” के अंतर्गत गंभीर बीमारियों के इलाज हेतु गरीब आदिवासी परिवारों को ₹20 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।
शिक्षा में नवाचार
शिक्षा के क्षेत्र में 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों और 15 प्रयास विद्यालयों की स्थापना की जा रही है। इन संस्थानों का उद्देश्य आदिवासी बच्चों को उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान करना है। 18 स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं और 263 स्कूलों को पीएम श्री योजना के अंतर्गत मॉडल संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है।
सड़क और आर्थिक विकास में सुधार
छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापत्तनम के बीच एक आर्थिक गलियारा निर्माणाधीन है, जिससे व्यापार, रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
वन संसाधनों का संरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण
तेंदू पत्ता संग्रहण दर को ₹4,000 से बढ़ाकर ₹5,500 कर दिया गया है, जिससे 12 लाख से अधिक परिवारों को लाभ होगा। साथ ही, 10,000 जैविक-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में होमस्टे और पर्यटन को बढ़ावा देकर राज्य सरकार स्थानीय खेलों जैसे बस्तर ओलंपिक के माध्यम से सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित कर रही है और रोजगार के अवसर पैदा कर रही है।
औद्योगिक क्षेत्र में भागीदारी
नए औद्योगिक नीति के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करने और औद्योगिक क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की गई हैं।