सुप्रीम कोर्ट का फैसला: दलित छात्र का IIT धनबाद में होगा प्रवेश

उत्तर प्रदेश के एक दलित छात्र, अतुल कुमार, को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने IIT धनबाद में प्रवेश दिलाने का आदेश दिया। छात्र के पिता, जो एक दैनिक मजदूर हैं और ₹450 प्रति दिन कमाते हैं, 17,500 रुपये की फीस जमा नहीं कर सके, जिससे छात्र का दाखिला रुक गया। पिता ने कड़ी मेहनत की और गाँव वालों से मदद मांगी, लेकिन वह समय सीमा से चूक गए। इसके बाद, उन्होंने न्याय के लिए तीन महीने तक अलग-अलग कोर्ट और SC/ST आयोग का दरवाजा खटखटाया, पर कोई समाधान नहीं मिला।

आखिरकार, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहाँ मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में न्यायालय ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम इतने प्रतिभाशाली छात्र को यूं ही नहीं जाने दे सकते। वह एक दलित लड़का है जिसे बार-बार इधर-उधर दौड़ाया जा रहा है।” कोर्ट ने कहा कि छात्र ने पूरी मेहनत से IIT की प्रवेश परीक्षा पास की, और सिर्फ फीस जमा न कर पाने के कारण उसे प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।

पिता की संघर्षपूर्ण यात्रा

छात्र के वकील ने कोर्ट को बताया कि छात्र के पिता मजदूर हैं और उनके लिए 17,500 रुपये जमा करना बड़ी बात थी। उन्होंने गाँव वालों से पैसे इकट्ठा किए, लेकिन समय पर पूरी रकम नहीं जुटा पाए। कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल पैसे की कमी का है और इसमें न्याय की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए IIT धनबाद को निर्देश दिया कि वह अतुल कुमार को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक पाठ्यक्रम के उसी बैच में प्रवेश दे, जिसमें उसे फीस जमा होने पर मिलना था। अनुच्छेद 142 अदालत को न्याय के हित में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने का अधिकार देता है।