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नागरिकों को कानूनी व सामाजिक न्याय दिलाने में है विधिक सेवा प्राधिकरण की अहम भूमिका : न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने कहा है कि हर वर्ग के पीडि़त को सुलभ न्याय दिलाने की दिशा में विधिक प्राधिकरण द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण समाज व शासन प्रशासन के बीच सेतु काम करता है। पीडि़त की समस्या से संबंधित विभाग को अवगत करा कर निराकरण किए जाने के हर संभव प्रयास में प्राधिकरण सक्रीय है। सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में भी विधिक सेवा प्राधिकरण की गतिविधियों को गति मिली है। आर्थिक रुप से कमजोर को विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से नि:शुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराए जा रहें है। मानसिक रुप से विक्षिप्त को उचित चिकित्सा सुविधा तथा असहाय, बेघर लोगों सहायता व आसरा दिलाने भी प्राधिकरण सक्रीय है।
यह जानकारी जिला सत्र न्यायाधीश व जिला विधिक प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव ने आज पत्रकारों से चर्चा के दौरान दी। इस दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव राहुल शर्मा, मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) मोहन सिंह कोर्राम भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि नागरिकों को विधिक अधिकार, न्याय व कानून प्रक्रिया के प्रति जागरुक करने जिला में विशेष अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इसके तहत स्कूलों व ग्रामीण स्तर पर शिविर लगा कर पैरालीगल वालिंटयर्स के माध्यम से विधिक जानकारियां उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा टे्रफिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। पैरालीगल वालिंटियर चौक चौराहों पर मौजूद रह कर वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन करने की समझाइश देंगे। इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने वालों से बंधक पत्र भी भरवाया जाएगा। जिससे वह नियमों का पालन करने के प्रति सजग रहेगा और उसके द्वारा अन्य लोगों को भी इस कार्रवाई के संबंध जानकारी दिए जाने से जागरुकता आएगी। जिले में नशा की प्रवृति को रोकने के लिए भी अभियान चलाकर नशा से बचने और इसके दुष्प्रभाव से नागरिकों को अवगत कराया जाएगा।
उन्होंने जांजगीर चांपा जिला में अपने कार्यकाल के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यहां पर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से लोगों का सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में विशेष प्रयास किए गए। स्कूली बच्चों, ट्राइबल वर्ग को जागरुक करने अभियान चलाया गया। मानव तस्करी व पलायन पर रोक लगाने के लिए भी विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से प्रयास किए गए। जिसके बेहतर परिणाम भी सामने आए है।
अदालती कार्रवाई के संबंध में किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अदालत में जज की आंखे मामले के गवाह होते है। पीडि़त न्याय से वंचित न हो इसके लिए न्यायायिक प्रक्रिया चार स्तर पर लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों का कोर्ट के प्रति और भी विश्वास बढ़ा है।