ज़ेप्टो के सीईओ आदित्य पालिचा ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर की टिप्पणी, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

मुंबई: भारतीय टेक स्टार्टअप ज़ेप्टो के 22 वर्षीय सीईओ आदित्य पालिचा ने हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपनी राय व्यक्त करते हुए एक नई बहस को जन्म दिया। बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में पालिचा ने लिखा, “मुझे वर्क-लाइफ बैलेंस से कोई दिक्कत नहीं है। बल्कि, मैं इसे हमारे सभी प्रतिस्पर्धियों को सुझाता हूं।”

इस टिप्पणी ने तुरंत ध्यान खींचा, लेकिन पोस्ट के साथ दी गई सफाई ने इसे और रोचक बना दिया। पालिचा ने लिखा, “FYI, यह मेरा कोट नहीं है – मैंने इसे दक्ष गुप्ता के एक इंटरव्यू में पढ़ा।” दक्ष गुप्ता, 23 वर्षीय सीईओ और एआई स्टार्टअप ग्रेप्टाइल के संस्थापक हैं, जो पहले भी लंबे वर्किंग ऑवर्स के पक्ष में बयान देकर विवादों में आ चुके हैं।

ज़ेप्टो की ‘टॉक्सिक’ वर्क कल्चर पर उठे सवाल

पालिचा की इस पोस्ट का समय ज़ेप्टो के कार्यस्थल के माहौल पर बढ़ती आलोचनाओं के साथ मेल खा रहा है। हाल ही में एक वायरल रेडिट पोस्ट में ज़ेप्टो पर कर्मचारियों को 14 घंटे की कठिन शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए गए। इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि पालिचा खुद देर रात तक काम करते हैं, जिसकी वजह से मीटिंग्स रात 2 बजे तक भी चलती हैं।

इससे कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस पर सवाल उठने लगे हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ज़ेप्टो जूनियर कर्मचारियों को कम वेतन पर नियुक्त कर लागत घटा रहा है और मार्च 2025 में संभावित छंटनी की ओर इशारा किया गया है। बताया जा रहा है कि कई विभागों में भर्ती भी रोक दी गई है।

सोशल मीडिया पर बहस

पालिचा की टिप्पणी को दक्ष गुप्ता के हालिया विवादित बयानों का अप्रत्यक्ष उत्तर माना जा रहा है। गुप्ता ने लंबे वर्किंग ऑवर्स का समर्थन करते हुए बयान दिया था, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई थी।

ज़ेप्टो के कार्यस्थल के माहौल पर उठ रहे सवालों के बीच पालिचा की टिप्पणी ने वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर उद्योग में एक नई चर्चा को जन्म दिया है।

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