छत्तीसगढ़ के जंगलों में अब जल्द ही मध्य प्रदेश के बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। राज्य वन्यजीव बोर्ड, केंद्र सरकार के बाघ संरक्षण कार्यक्रम ‘बघुवा प्रोजेक्ट’ के तहत मध्य प्रदेश से दो बाघ और दो बाघिनों को छत्तीसगढ़ लाने की योजना बना रहा है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाना और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देना है। राज्य के स्थापना दिवस पर इस संबंध में जागरुकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, राज्य में बाघों के लिए अनुकूल वातावरण है और विशेषज्ञों की सलाह पर अचानकमार, इंद्रावती, बारनवापारा, भोरमदेव और गुरुघासीदास-तमोर पिंगला जैसे रिजर्व क्षेत्रों में बाघों की उपस्थिति को लेकर आशाजनक संकेत मिले हैं। विशेषज्ञ आर श्रीनिवास के अनुसार, विशेष रूप से बारनवापारा अभयारण्य बाघों के लिए आदर्श स्थान है और यहाँ दो बाघिनों को छोड़ने की सिफारिश की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि बाघों को छोड़ने से पहले उनके संभावित आवास का निरीक्षण भी किया जा चुका है। हालांकि, बाघों को मध्य प्रदेश से कब लाया जाएगा, इस पर अभी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।