पाकिस्तानी एथलीट अर्शद नदीम की मां, रज़िया परवीन ने भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के प्रति अपनी गहरी स्नेह भावना व्यक्त की है। उन्होंने नीरज को अपने बेटे का दोस्त और भाई कहकर पुकारा, जिससे खेल जगत में एक अद्भुत और दिल को छू लेने वाला संदेश गया है। यह भावना तब सामने आई जब अर्शद नदीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में पुरुषों के भाला फेंक फाइनल में ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस जीत के साथ, पाकिस्तान ने तीन दशकों में पहला ओलंपिक पदक, चालीस वर्षों में पहला स्वर्ण पदक और ट्रैक और फील्ड इवेंट्स में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।
रज़िया परवीन ने पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए कहा, “वो भी मेरे बेटे जैसा है। वो नदीम का दोस्त भी है, भाई भी है।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने दोनों खिलाड़ियों की सफलता के लिए प्रार्थना की थी। नदीम की ऐतिहासिक जीत के बाद उनके परिवार ने मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया।
अर्शद नदीम ने इस जीत को कई चुनौतियों के बावजूद हासिल किया, जैसे कि पुराने उपकरणों के साथ प्रशिक्षण और आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं की सीमित उपलब्धता—जो उनके अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहद कम थीं। बावजूद इसके, उनकी समर्पण और कौशल ने उन्हें ओलंपिक की शिखर पर पहुंचाया। नदीम की इस उपलब्धि ने न केवल उनकी मां से किए गए वादे को पूरा किया, बल्कि 92.97 मीटर के थ्रो के साथ एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड भी स्थापित किया।
दूसरी ओर, नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने भी सीमा पार की इस दोस्ती की सराहना की। उन्होंने अपने बेटे के रजत पदक पर खुशी जाहिर की और नदीम के स्वर्ण पदक को एक ऐसे “बच्चे” की जीत के रूप में देखा, जिसे वह भी अपने दिल में स्थान देती हैं।
यह कहानी न केवल खेल की दुनिया में एक प्रेरणादायक अध्याय जोड़ती है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे खेल की भावना सीमाओं और मतभेदों को पार करके एकता और भाईचारे का संदेश देती है।