नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर संसद परिसर में प्रमुख नेताओं की मूर्तियों को उनकी निर्धारित जगहों से हटाकर प्रेरणा स्थल पर ले जाने का विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि इन मूर्तियों को उनके मूल स्थानों पर पुनर्स्थापित किया जाए। प्रेरणा स्थल का उद्घाटन हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया था, जिसमें पहले विभिन्न स्थानों पर स्थित प्रमुख नेताओं की मूर्तियों को रखा गया है।
खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि इन मूर्तियों को बिना किसी परामर्श के हटाने का निर्णय लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस पत्र की प्रतियां साझा करते हुए लिखा, “महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सहित कई महान नेताओं की मूर्तियों को संसद भवन परिसर से हटाकर एक अलग कोने में रखा गया है। मैं जोर देना चाहता हूँ कि इन मूर्तियों को बिना किसी परामर्श के हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है।”
उन्होंने यह भी लिखा कि महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और अन्य राष्ट्रीय नेताओं की मूर्तियों को उनके मूल स्थानों पर सम्मान और गरिमा के साथ पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।
खड़गे ने महात्मा गांधी की मूर्ति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह मूर्ति 2 अक्टूबर 1993 को पुराने संसद भवन के सामने स्थापित की गई थी और यह भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण थी। उन्होंने बताया कि यह स्थान सांसदों और आगंतुकों के लिए पवित्रता का प्रतीक बन गया था, जहाँ वे महात्मा गांधी को सम्मानित करते थे।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति के महत्व को बताते हुए खड़गे ने लिखा कि यह मूर्ति 2 अप्रैल 1967 को संसद भवन परिसर में स्थापित की गई थी और इसका स्थान और मुद्रा अत्यधिक महत्वपूर्ण थी। बाबासाहेब ने संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों को मजबूती से बनाए रखने का महत्व दिखाया।
खड़गे ने कहा कि मूर्तियों के स्थानांतरण का निर्णय बिना किसी परामर्श के किया गया और यह निर्णय संसद की मूर्तियों और चित्रों की स्थापना के लिए समर्पित समिति से भी चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यह समिति 2019 से पुनर्गठित नहीं की गई है।