सिंगापुर। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन द्वारा बार-बार किये जा रहे दावे को शनिवार को ‘बेतुका’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह सीमांत राज्य ‘‘भारत का स्वाभाविक हिस्सा’’ है। अरुणाचल पर चीन द्वारा अक्सर किये जाने वाले दावे और भारतीय राजनीतिक नेताओं द्वारा प्रदेश के किये जाने वाले दौरे का चीन के विरोध करने पर संभवत: अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। उन्होंने यहां नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के ‘साउथ एशियन स्टडीज इंस्टीट्यूट’ में एक व्याख्यान देने के बाद अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने दावा किया है, इसने अपने दावे को दोहराया है। ये दावे शुरू से बेतुके हैं और आज भी बेतुके बने हुए हैं।’’
जयशंकर तीन दिन के दौरे पर यहां हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश ‘‘भारत का एक स्वाभाविक हिस्सा’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट रहे हैं और हमारा एकसमान रुख रहा है। और मुझे लगता है कि आप जानते हैं कि यह ऐसी चीज है, जो वर्तमान में जारी सीमा वार्ता का हिस्सा है।’’ जयशंकर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि भारत के लिए आज यह चुनौती है कि दो उभरती शक्तियों, जो पड़ोसी देश भी हैं, के बीच कैसे टिकाऊ संतुलन तलाशा जाए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का एक इतिहास और आबादी है जो उन्हें शेष विश्व से अलग करती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एक बहुत जटिल चुनौती है।’’
जयशंकर ने कहा कि 2020 में जब चीन ने सीमा पर कुछ करने का विकल्प चुना तो यह भारत के लिए एक बड़ा आश्चर्य था और उसका यह कदम दोनों देशों के बीच बनी सहमति का पूरी तरह से उल्लंघन था। विदेश मंत्री पैंगोंग झील इलाके में एक हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को उत्पन्न हुए पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध का संदर्भ दे रहे थे। पूर्वी लद्दाख गतिरोध ने व्यापार को छोड़कर सभी मोर्चों पर द्विपक्षीय संबंधों में ठहराव ला दिया। भारत, चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव बना रहा है। भारत का यह कहना है कि जब तक सीमा पर स्थिति असमान्य बनी रहेगी तब तक चीन के साथ सामान्य संबंध बहाल नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, ‘‘संतुलन बनाने के लिए बुनियाद को मजबूत करने के बजाय, उन्होंने (चीनी पक्ष) ने स्थिति को बिगाड़ दिया।’’
जयशंकर ने कहा कि सीमा विवाद का समाधान होने में वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बहुत जटिल मुद्दा है। हम सीमा विवाद का हल करने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। हम सीमा पर शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के बारे में बात कर रहे हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या सिंगापुर, चीन और भारत को अपने संबंध सामान्य करने में मदद कर सकता है, उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली, बीजिंग से सीधे निपटेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी चीन के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है। मैं अपने समकक्ष (वांग यी) के साथ संपर्क में हूं।’’ उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत और चीन के दूतावास एक-दूसरे के यहां हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच गलतफहमी का कोई मुद्दा नहीं है। दोनों देशों ने सीमा विवाद पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह 2020 तक काम करता रहा। इसलिए हम क्यों नहीं बैठें और लंबे समय तक बरकरार रखी गई शांति एवं स्थिरता को जारी रखने के उपाय तलाशें।’’ उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 1975 से 2020 तक सीमा पर कोई व्यक्ति नहीं मारा गया। इस तरह, 45 साल तक इस समझौते ने काम किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘जबतक हम सीमा पर स्थिरता नहीं लाते, संतुलन कायम होना, संबंध बनना, और अधिक चीजें करने की उम्मीद करना मेरे लिए अतार्किक है क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से अत्यधिक अविश्वास पैदा करेगा।’’ विदेश मंत्री ने इस सवाल का भी सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या भारत ने अपनी पश्चिमी सीमा से 10,000 सैनिकों को पूर्वी सीमा पर भेजा है। उन्होंने कहा, ‘‘कई बार ऐसा भी होता है जब लोगों की बात नकारने के बजाय हमारे पास करने को बेहतर चीजें होती हैं।’’ उन्होंने सिंगापुर के एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘कोई रिपोर्ट हो भी सकती है और नहीं भी, जो सच भी हो सकती है या नहीं भी। मुझे लगता है कि कोई भी सरकार सेना की आवाजाही की पुष्टि नहीं करती, कम से कम किसी विदेशी अखबार के व्यक्ति को तो नहीं।’’
विदेश मंत्रालय द्वारा चीन के रक्षा मंत्रालय के बयान को खारिज किये जाने के कुछ दिनों बाद जयशंकर की यह टिप्पणी आई है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘‘हमने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की उस टिप्पणी पर गौर किया, जिसमें भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के भूभाग को लेकर बेतुके दावे किये गए हैं।’’ मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इस बारे में बेबुनियाद तर्क को दोहराना इस तरह के दावे को कोई वैधता नहीं प्रदान करता। अरुणाचल प्रदेश, भारत का अभिन्न हिस्सा था, है, और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लाभ प्राप्त करते रहेंगे।’’ इससे पहले, चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने पर आपत्ति जताई थी।