पॉक्सो एक्ट : मेघालय हाईकोर्ट ने कहा 16 साल की किशोरी साथ सहमति से सेक्स करना अपराध नहीं, एफआईआर रद्द

नई दिल्ली। मेघालय हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर पॉक्सो के तहत दर्ज किए केस को खारिज करते हुए उसे रिहा कर दिया। शिलॉन्ग बेंच ने आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने पॉक्सो के तहत दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी। आरोपी जॉन फ्रैंकलिन का दावा था कि उसने नाबालिग का यौन उत्पीड़न नहीं किया है, बल्कि दोनों ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं।

जस्टिस डिएंगदोह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इसमें कोई अपराध शामिल नहीं है। 16 साल की नाबालिग इस पर फैसला लेने के काबिल है कि सेक्स करना सही है या गलत।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी जॉन फ्रैंकलिन कई घरों में काम करता था। इस दौरान उसकी लड़की से मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों ने जॉन के रिश्तेदार के घर सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। लड़की की मां को जब यह पता चला तो उन्होंने जॉन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। जॉन पर POCSO एक्ट 2012 की धारा 3 और 4 के तहत केस दर्ज हुआ।

इसके खिलाफ जॉन ने हाईकोर्ट में अपील की। जॉन ने कहा कि यह यौन उत्पीड़न नहीं है, क्योंकि नाबालिग ने CRPC की धारा 164 के तहत अपने बयान और कोर्ट में गवाही के दौरान कहा है कि दोनों प्रेमी-प्रेमिका हैं और दोनों ने सहमति से संबंध बनाए थे। इसमें कोई बल प्रयोग शामिल नहीं था।

मेघालय हाईकोर्ट ने 2021 में मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। विजयलक्ष्मी v/s स्टेट के सभी महिला पुलिस स्टेशन से जुड़े केस में हाईकोर्ट ने कहा था कि नाबालिग किशोर शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होते हैं। इसलिए यह मान लेना सही है कि फिजिकल रिलेशन बनाने का फैसला ले सकते हैं।

सुनवाई के दौरान मेघालय हाईकोर्ट ने विधायिका से अपील की है कि बदलती सामाजिक जरूरतों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए कानून में और विशेष रूप से POCSO एक्ट में जरूरी बदलाव किए जाने चाहिए। कोर्ट 16 साल के सभी किशोरों के शारीरिक और मानसिक विकास को मानते हुए कहेगी कि ऐसा व्यक्ति अपनी भलाई के संबंध में सही-गलत का फैसला लेने में सक्षम है।