नई दिल्ली, 9 जनवरी 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित किया गया है और इसे हर दो साल में एक बार मनाया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करना है।
इस वर्ष का विषय “विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान” रखा गया है। यह सम्मेलन 8 जनवरी से 10 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है और इसे विदेश मंत्रालय और ओडिशा सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया है।
विदेश मंत्री का संदेश: सम्मेलन की शुरुआत बुधवार को हुई, जहां विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों से “विकसित भारत” के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। उन्होंने कहा, “भारत अपनी वैश्विक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है और यह यात्रा प्रवासी भारतीयों के बिना अधूरी है। खासकर युवा प्रवासी, भारत की सकारात्मक छवि को विश्व स्तर पर मजबूत कर रहे हैं।”
प्रवासी भारतीय दिवस की विशेषताएं:
- सम्मान समारोह: भारत के विकास में योगदान देने वाले प्रवासी भारतीयों को विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।
- विचार-विमर्श सत्र: सम्मेलन के दौरान भारत की प्रगति और प्रवासियों की भूमिका पर सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
- संस्कृति का प्रदर्शन: भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रवासियों के बीच बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री का संबोधन: अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “प्रवासी भारतीय न केवल भारत के प्रतिनिधि हैं, बल्कि वे देश की सॉफ्ट पावर के भी सशक्त माध्यम हैं। उनके योगदान से भारत एक ‘विकसित भारत’ की ओर तेजी से अग्रसर है।”
ओडिशा की भूमिका: ओडिशा सरकार ने इस सम्मेलन के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत और आतिथ्य सत्कार को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन न केवल प्रवासी भारतीयों को जोड़ने का एक मंच है, बल्कि यह “विकसित भारत” के सपने को साकार करने के लिए उनकी भूमिका को रेखांकित करता है।